Monday, July 27, 2009

अगर मैं एक सपना होता.और ये सपना होता सच ....!


अगर मैं एक सपना होता.और ये सपना होता सच ..!!












अगर मैं एक सपना होता..सच....!!!
खुली वदियों के आशिया मे घूमता,
कभी होता यहाँ कभी होता वहाँ
एक पंक्षी सा आजाद होता
अगर मैं एक सपना होता..सच....!!!



कभी होता पेड़ो की शीतल छांव में.
तो कभी होता पहाड़ो कि ऊँची चोटी पर
खुशियों के होते पर! उड़ता आसमान मे
बनकर पंक्षी प्रकृति के आंगन में
अगर मैं एक सपना होता..सच....!!!

आज रहता यहाँ कल वहाँ
करता मनमानी चाहे जाऊं जहाँ,
खुली हवाओं के साथ चलता चाहे ले जाये जहाँ.
अगर मैं एक सपना होता..सच....!!!

करता लोगो की सारी परेशानियों को छू मन्तर
रहता ना दुख: सुख मे अन्तर
कभी रहता लोगो के दुख: में सामिल
करता लोगो को खुश हर पल.
अगर मैं एक सपना होता..सच....!!!

होते न दूर कभी भी अपने करीबी
रहते सब लोग प्यार से मिल कर
होता ना किसि को किसि से बैर
न होती कोई भूख मरी न कोइ गरीबी .
अगर मैं एक सपना होता..सच....!!!

होती न कभी इस दुनियां में जगं
होते सब अपने लोगो के साथ
ना होती नफरत की आग.
रहते सब लोग बेफिकर होकर सगं
अगर मैं एक सपना होता..सच....!!!

(स्वरचित कबिता)



!!!*धन्यवाद*!!!

****~!~* देव *~!~****


!!!!जय हिन्द!!!!




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