Wednesday, September 17, 2014

जिंदगी

जिंदगी किराए का घर है एक दिन छोड़ कर जाना पड़ेगा।
साँसों की किस्त पूरी होते ही ,जिस्म को अलविदा करना पड़ेगा।
करोड़ों की कमाई किसी काम नही आएगी,
क्योंकि मौत तो रिश्वत लेती नहीं।

किस बात का अहंकार के साथ जीते हो?
यह तो वो धूल है जिसको मिट्टी में मिलना है ।
मत रखो राग द्धेष किसी से, अंत में अकेले जाना है,
जिस तरह आए थे इस दुनिया में उसी पल जाना है।

उद्धेश्य जीवन का जानो, अपने आप को पहिचानो,
अपने अच्छे कर्मों से किसी के जीवन में खुशियाँ भर दो।
सेवा भाव ही मनुष्यता के लिए समर्पण सिखाती है,
याद रखिए सिर्फ दुवाएं हर बार साथ निभाती है।

भौतिकता की चमक आंखे कमजोर कर देती है,
इस चकाचौंद में फिर अंधे फिरे घूमते हैं।
सच्चाई तो कहीं नजर आते नहीं,
बस ख़यालो के समुद्र में दूबे रहते हैं।

किस बात का घमंड करते हो, यहां आप ही आखरी नहीं हैं,
सब समय का खेल है कोई कभी राजा है तो कभी भिखारी है।
न भरो अपनी जेब बेईमानी की दौलत से,
क्योंकि मौत की चादर तो विना जेब की होती है।

© देव नेगी

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!!!! हिन्द!!!!

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