Tuesday, June 10, 2014

"समाज सेवा का यह नतीजा' ??

    

            "समाज सेवा का यह नतीजा' ?? पढ़िए शान्ति सजवाण की व्यथा..!!


दोपहर के लगभग दो बज रहे थे, दिनांक ७ जून,  दिन शनिवार ! दफ्तर की छुट्टी होने के कारण में घर पर आराम फरमा रहा था, तभी अचानक मेरे फोन की घटीं बजी, कुछ समय बाद मैंने फोन उठाया, सामने से हमारे बढे एवं सम्मानीय भाई श्री गोकुल नेगी जी की आवाज सुनाई दी, उनके स्वर थोड़े व्याकुलता के भरे हुए थे, मैंने पूछा ददा क्या बात है, उन्होंने जो बताया उसको सुन कर में दंग रह गया !! उन्होंने बताया की एक बुरी खबर है बुल्ला ,  मैंने फिर  पूछा बताओ ददा क्या हुआ.. .. फिर उन्होंने बताया  कि  जंतर – मंतर (नई दिल्ली) पर “गौ रक्षा” आन्दोलन के लिए धरने पर बैठी समाज सेविका शान्ति सजवाण पर गत  ६ जून को आत्मा घाती हमला हुआ है, और वह राम मनोहर लोहिया अस्पताल नई दिल्ली में भर्ती है !
अचानक  यह सुनने में थोडा अजीब सा लग रहा था. क्योकि कुछ महिनों पहले ही उन्होंने हमारे साथ मिलकर “ नजफ़गढ़ की दामिनी “किरण नेगी” के लिए न्यायिक आन्दोलन में अपनी  सक्रिय भूमिका निभाई थी..!!  
यह सुनाने के बाद हम उनकी याद खबर करने अस्पताल पहुचें, वहां उनकी हालत देखी तो आंखें भर आयी, बहुत दयनीय स्थिति में वो ICU में थी, उनके सर पर बेरहमी से वार किया गया, जिससे उनके सर पर २२ टाके लगे,  एक हाथ पर भी बहुत चोट आई है..!
फिर हमने घटना की आँखों देखी जाननी चाही, वहाँ  पर  मौजूद लोगों की माने तो यह वाक्य दिल को दहला  देने वाला था, उनके अनुसार एक अपने को  रेप पीड़ित बताने वाली महिला (इस बात में कितनी सत्यता है  किसी को पता नहीं है कई लोग इस महिला को  फर्जी भी बता रहे है) जिसका नाम जसविंदर कौर है,  पिछले कई समय से जंतर मंतर पर धरने पर बैठी है,  जो पंजाब की रहने वाली है,  जिसने किसी पुलिस अधिकारी पर बलात्कार का आरोप लगाया हुआ है..! (जो मानसिक विकृति का शिकार है )
बस इतना सुनते ही हम इस बात की तह तक जाने और  सच्चाई जानने के लिए घटना स्थल (जंतर मंतर ) पर पहुचें और स्थानीय व्यापारियों और धरना करताओ से पूछा जो उस समय वहां मौजूद थे,
वहाँ के लोगो की मुह जुबानी  कुछ इस प्रकार थी : -
आरोपी महिला पंजाब की रहने वाली रेप पीडिता काफी समय से जंतर – मंतर पर धरना कर रही है, उसका व्यवहार शुरू से ही सबके प्रति  आक्रमक रहा है, चाहे कोई भी हो, कई बार धरकारियों से भी झड़प करती रहती थी, किसी को भी बे-मतलब की  गाली-ग्लोस करना, झगड़ा करना  इत्यादी, उसके लिए मामूली बात थी. इसी कारण स्थानीय लोग उससे दूर रहना पसंद करते थे, उस औरत के खिलाफ कई मामले चल रहे है, कई पुलिस केश चल रहे है, और भी कई बातें लोगो ने उसके बारे में बताया पर सबका व्याख्यान यहाँ करना मुस्किल होगा !
इसी के चलते शान्ति सजवाण भी जंतर – मंतर पर सामाजिक सेवा हेतु जाती रहती थी, इस बार वो “गौ रक्षा” के लिए शांति धरना प्रदर्शन कर रही थी, पर अचानक शाम को उस महिला ने शान्ति सजवाण के

ऊपर जानलेवा हमला कर दिया, लाठियों के सर पर वार करने लगी और गलियाँ देने लगी , बड़ी मुस्किल से आस पास के लोगों ने उसको पकड़ा और काबू में किया , नहीं तो शान्ति  की जान आज मुश्किल से ही बचती. |हैरान कर देने वाली बात तो यह थी की पास में पुलिस की तैनाती थी, पर पुलिस अपनी जगह से एक कदम भी नहीं हिले, जैसे उनको सांप सूघ गया था, कोई भी मदद करने के लिए नहीं आगे नहीं आये, और शान्ति बचाव की गुहार लगाते लगाते बेहोश हो गयी..! फिर भी पुलिस देखती रही, फिर किसी पत्रकार ने १०० नम्बर पर फोन किया और सहायता माँगी, शान्ति सजवाण के साथी जो वहां मौजूद थे उन्होंने किसी तरह उसे अस्पताल पहुंचाया जहाँ वो जिन्दगी के लिए जंग लड़ रही है .! और फिर भी उस महिला का  जी नहीं भरा और  वो शान्ति को मारने अस्पताल तक पहुँच गयी |
पिछले काफी समय से उस महिला ने कई लोगो पर इस प्रकार के हमले किए हैं , खुद शान्ति सजवाण पर पहले भी कई बार इस प्रकार के हमले कर चुकी है, जब उसके खिलाप कई मामले चल रहे है उसने कई बेकसूर लोगों के खिलाफ मान हानि का दावा किया है, फर्जी रेफ का आरोप लगाया हुआ है, बताया जा रहा है कि वह अकेली नहीं बल्कि उसके साथ पूरी गैंग है.. .. इस प्रकार के असमाजिक तत्व  खुल्लेआम कैसे घूम सकते है, कई लोगो के अनुसार उस महिला मानसिक स्थिति ठीक नहीं है, अगर यह सच है तो उसे आज तक क्यों आजादी है ? उसे किसी अस्पताल में मानसिक चिकित्सा हेतु क्यों नहीं ले जाया गया ?  इसी तरह अगर वो बारदात करती रही तो आम जनता की जिम्मेदारी किसकी होगी? सवाल इस बात का उठता है की प्रशासन एवं क़ानून व्यवस्था किसके लिए बनाई गयी है ? पुलिस ने महिला हिरासत में क्यों नहीं लिया ? पुलिस की जिम्मेदारी क्या है? जब जरूरत होती है तब  अपनी जिम्मेदारी से भागते क्यों है? पुलिस ने शान्ति को क्यों नहीं बचाया ? क्या वो वहां पर तमाशा देखने के लिए थी ? क्या तमाशे देखना ही इनकी जिम्मेदारी है? और इसी के लिए इनको तनख्वाह  मिलाती है? अब दूसरी बात एक तरफ तो हम महिलाओं की सुरक्षा की बात करते है, जो कि बहुत जरूरी है, यह बहुत अच्छी बात है ,  परन्तु जब एक महिला खुद दूसरों पर आत्मघाती हमला करती है, गालियाँ देती है,  ऐसे महिलाओं के लिए किस प्रकार के कदम उठाने चाहिए जिससे की इस प्रकार की हिंसा फिर न हो, क्या इसी बलबूते पर हम उसे नजरअंदाज करते जाए.. कि वो एक महिला है? गुनहगार कोई भी हो वो गुनहगार होता है, और उसकी सजा भी समान होनी चाहिए !

ज़रा सोचिए जो व्यक्ति समाज के लिए समर्पित है और सामाजिक कार्यों में अपना योगदान दे रहा है , अगर उस पर इस प्रकार  के जानलेवा हमले होंगे तो यह हमारे लिए और इस देश के लिए बहुत ही शर्मनाक एवं दुर्भाग्य की बात होगी ..!
अब वक्त है बदलने का .. चलो उठो अपनी जिम्मेदारियों को समझो, हम बदलेंगे तो जग बदलेगा ..!!


!!! सोचिए .!!

-© देव नेगी

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