Wednesday, August 5, 2009

आज का समाज एवं नारी


आज का समाज एवं नारी

हमारा देश अनेक प्रकार की संस्कॄति एवं परमराओं से भरा हुआ है. जहाँ एक तरफ़ यहाँ अनेक प्रकार की भेष-भूषा के लोग है वहीं दूसरी तरफ़ यहाँ अनेक र्धम के लोग निवास करते है. पर ऐसे लगते है एक डाल के अनेक फ़ूल..! यही विशेषता है हमारे देश की अनेकता में एकता, इसी लिये मेरा भारत महान है!

हमारे देश में नारियों का सम्मान किया जाता है , पर आज की स्थिति को देख कर डर लगता है. कुछ असामाजिक तत्वों एवं समाज के ठेकेदारों के कारण नारी जाती का आज समाज में जीना मुशकिल हो गया है. जहाँ एक तरफ़ एक नारी माँ का रूप हो्ती है वहीं दूसरी तरफ़ किसी कि बेटी, किसी की बहन, और कहीं माँ दुर्गे की पूजा की जाती है, इतिहास गवाह है कि हमारे देश के लिये नरी शक्ति ने बहुत कुछ किया है, रानी लक्ष्मी भाई, मदर टेरेसा, इन्दरा गाँधी, सरोजनी नायडू आदि अनेक महिलाओं ने हमारे देश के योगदान मे अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
दुनिया बदल गयी है पर अफसोस की बात तो यह है कि आज भी ऐसे लोग है जिनके मन मे लड़कियों के प्रति कुण्ठित विचार है कई लोग लड़कियों को बोझ समझते है उस नन्हीं जान को धरती पर आने से पहले मार दिया जाता गर्भपात कर दिया जाता है, स्कूल नहीं भेजते है ये समझते है कि लड़कियां तो पराया धन होती है और उसका काम घर सम्भालना होता है. अगर उनको स्कूल नहीं भेजेंगे तो वो आगे कैसे बढेंगे? आखिर क्यों होता है सब?? सोचा है? हर कहीं महिलाओं के साथ अन्याय होता है, कभी किसी को जिन्दा जलाया जाता है कभी किसी को नाबालिक उम्र में विवाह कर दिया जाता है जिसे बाल विवाह कहा जाता है, कहीं दहेज के चक्कर मे अत्याचार होता आ रहा है, कहीं बलात्कार कहीं किसी महिला के भारी चौराहे पर सभी के सामने कपड़े फाड़े जाते है. आज एक महिला कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं. इन्सान इन्सानियत भूल गया है, कहीं भी जाओ कही भी सुरक्षा महसूस नहीं होती, किसी ओफिस मे काम करती है तो वहाँ के लोग यहाँ तक कि खुद मालिक भी फ़ायदा उठाना चाहता है, कई बार ऐसे सुनने को मिला है, बाहर अकेली लड़की नहीं जा सकती है अगर कोइ अकेली लड़की कहीं जाते हुये किसी ने देख लिया तो उसको छेड़ना सुरु कर देगें या गन्दी गन्दी बातें सुनायेगे, यही नहीं बल्कि कई जगहों पर तो लोग अकेलेपन क फायदा भी उठाते है।
आज के जमाने मै अगर कोई लड़की कुछ करना भी चाहे तो उसके बारे में हमारे समाज के कुछ ठेकेदार कुछ न कुछ गन्दी बातें बोलेगें जिससे कि वो लड़की आगे ना बढ़ पाये. उसका आत्मविश्वाश टूट जाये। क्यों हमारा समाज एक तरफ़ तो नरी शक्ति की पूजा करता है और दूसरी तरफ़ उनको आगे बढ़ने से रोकता है क्यों? कब तक ये चलता रहेगा? कब बदलेगी हमारी सोच?? लोग ये सोचते क्यों नहीं? क्यों भारत जैसे देश मे जिसे नारी प्रधान देश कहा जाता है उसी देश मे नारी के साथ ये सब हो रहा है उनकी इज्जत नहीं की जाती है ये कितनी शर्म की बात है हमारे लिये, ये सोचने वाली बात है सोचिये..!! अपनी सोच बदलो लड़का लड़की मे कोइ फ़र्क नहीं है दोनो एक समान है बल्कि आज के जमाने मे लड़की कई जगहों पर लड़को को मात दे रही है हमेम चाहिये कि हम उनको प्रोत्साहन दें और उनका साथ दें सबको समान दॄष्टि से देखें तभी वो आगे बढे़गी और एक दिन ऐस आयेगा कि सारे जहाँ मे नारी को एक इज्जत के साथ पुकार जयेगा उनका भी अपना एक अस्तित्व और लोगों को अपने बहु, बेटियों पर गर्भ होगा.!!!
कब बदलेगी हमारी सोच?? कब बनेंगे हम इन्सानं? अब वक्त आ गया है कि होसला रखो हिम्मत दिखाओ और दुनिया बदलो!!


!!!*धन्यवाद*!!!

****~!~* देव *~!~****


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Monday, July 27, 2009

अगर मैं एक सपना होता.और ये सपना होता सच ....!


अगर मैं एक सपना होता.और ये सपना होता सच ..!!












अगर मैं एक सपना होता..सच....!!!
खुली वदियों के आशिया मे घूमता,
कभी होता यहाँ कभी होता वहाँ
एक पंक्षी सा आजाद होता
अगर मैं एक सपना होता..सच....!!!



कभी होता पेड़ो की शीतल छांव में.
तो कभी होता पहाड़ो कि ऊँची चोटी पर
खुशियों के होते पर! उड़ता आसमान मे
बनकर पंक्षी प्रकृति के आंगन में
अगर मैं एक सपना होता..सच....!!!

आज रहता यहाँ कल वहाँ
करता मनमानी चाहे जाऊं जहाँ,
खुली हवाओं के साथ चलता चाहे ले जाये जहाँ.
अगर मैं एक सपना होता..सच....!!!

करता लोगो की सारी परेशानियों को छू मन्तर
रहता ना दुख: सुख मे अन्तर
कभी रहता लोगो के दुख: में सामिल
करता लोगो को खुश हर पल.
अगर मैं एक सपना होता..सच....!!!

होते न दूर कभी भी अपने करीबी
रहते सब लोग प्यार से मिल कर
होता ना किसि को किसि से बैर
न होती कोई भूख मरी न कोइ गरीबी .
अगर मैं एक सपना होता..सच....!!!

होती न कभी इस दुनियां में जगं
होते सब अपने लोगो के साथ
ना होती नफरत की आग.
रहते सब लोग बेफिकर होकर सगं
अगर मैं एक सपना होता..सच....!!!

(स्वरचित कबिता)



!!!*धन्यवाद*!!!

****~!~* देव *~!~****


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Tuesday, June 2, 2009

!! इन्सान एवं इन्सानियत !!

!! इन्सान एवं इन्सानियत !!

कभी आपने सोचा है कि इन्सान क्या है? और इन्सान की इन्सानियत क्या है? इन्सान का जीवन क्या है? इन्सान का अस्तित्व क्या है?? अगर कोई गहराई से सोचे आज का इन्सान क्या बन गया है. हर कोई बस अपने बारे मे सोचता है. अपने स्वार्थ के लिये दूसरो को दुख: पहुँचाता है. दूसरो को नुकसान पहुँचाता है, पर लोग ऐसा कुछ नहीं सोचते है ऐसा क्यों करते है.? कुछ लोग का उद्धेष्य होता है कि दूसरो का भला करना, और कुछ लोगो की आदत होती है दूसरो को नुकसान पहुँचाना. जो मनुष्य दूसरो का भला करता है आज के जमाने मे सब उससे जलने लगते है. अगर कोइ व्यक्ति अच्छा कार्य करता है तो लोग उसकी बुराई करने के बाज नहीं आते क्योंकि लोगो को अच्छा काम पसन्द ही नही कुछ लोग खुद तो कुछ कर नहीं पाते और दूसरो को भी नही. करने देते. !
आज कल गाँवों मै इन्सानियत थोडी बहुत जिन्दा है परन्तु आज कल शहरों मैं इन्सान सबसे भत्त्तर जिन्दगी जीते है. मै अपने पडो़सियो को नहीं जानता मेरा पड़ोसी मुझे नहीं जानता शहरो मे इन्सान अपने को भूल जाता है. कोई भी जिन्दगी का मतलब नहीं समझता सायद शहरों मे लोगो के पास पैसा ज्यादा होता है इसी लिये वो पैसे को हे जिन्दगी समझ लेते है. पर वो ये भूल जाते है पैसा इन्सान की जरूरत है.. पैसे की जरूरत इन्सान नही. लोग आज कल यही समझते है कि जिसके पास पैसा है वही सबसे बड़ा है. परन्तु लोग ये भूलते जा रहे है कि सबसे बडी़ है इन्सानियत एवं खुशी अगर आपके पास पैसा है और आप खुश नहीं है तो आप क्या करेगे उन पैसों का?? या तो दुःख मै शराब पियेंगे किसी (पब) में होगें सिगरेट पियेगें और कुछ दिनों के बाद आप अस्पताल मे होगें! अब बताइये क्या काम आया आपका पैसा?? अगर आप खुश है आपके पास पैसा नही है य कम है तो आप कुछ काम करके कमा सकते हो. परन्तु सुखी एवं खुश तो रह सकते है. और कह्ते है न सुख एवं खुशी से बड़्कर कोइ धन नहीं !!! लोग सोचते है कि मेरे पास बहुत पैसा है और मै कुछ भी कर सकता हूँ। मेरे बराबर कोई नहीं है मै सबसे बडा़ हूँ। तो वो हमारे लिये क्या है? अपने लिये है जो भी है हमारे किस काम है उसका पैसा है तो उसके लिये है. में सोचता हूँ कि सबसे बडा़ सिर्फ़ एक है वो भगवान है जो सबके पालन हार हैं अद्र्श्य रह कर भी सबके पालन हार है.! जगत के रचियता है जिन्होने ये श्रिष्ठि बनाई है और सब प्राणी मात्र एक समान है. कोई बडा़ नहीं है न कोइ छोटा है ! सब अपने मे बडे़ है.!
हाँ मैं मानता हूँ कि पैसा इस जमाने मे सबसे महत्वपूर्ण है. हमारी आज की जिन्दगी मे पैसा की अहम भूमिका है. पैसे से आज हमारी हर जरूरत पूरी होती है. बहुत मायने रखते है पैसे हमारे जीवन में परन्तु इसका ये मतलब तो नहीं कि आप इन्सानियत भूल जाये. वो इन्सान ही क्या जो दूसरों के काम ना आये? इन्सान का मुख्य उध्देश्य है कि इस संसार मे कितने भी प्राणी मात्र है सबकी मदद करना परन्तु आज स्थिति उलटी हो गयी है. लोग इन्सानियत भूल गये है।
अगर आज कोई भी भला बोलता है या लिखता है तो लोग उसे कई बातें सुनाते है. कई बातें बोलते है. क्योंकि अपनी हकीक़त जानना बडा़ दुखदायी होता है और लोगो से ये सहन नही होता. आज कल कई लोग धर्म के नाम पर जाति के नाम पर आपस मै दगे करवाये जाते है कै बेकसूर लोगो की जिन्दगी खतम हो जाती है पर इसके जिम्मेदार कौन?? किसी एक समाज के नाम पर ठेकेदारी वाले समाज के ठेकेदार के कारण कई बच्चे अनाथ कई विधवा एवं कई घर बरबाद हो जाते है. कहाँ है ईन्सानियत?? बस हैवान बने है. फ़िर भी सभी लोग चुप रहते है हमारे देश मैं कई बार आतंकवादी हमले हुये है कितने लोग मारे गये है पर हमको क्या?? हमारा क्या जाता है?? क्योंकि हमें अब आदत हो गयी है. जिन पर वो कहर टूटता है उनसे पूछिये कितनी तक्लीफ़ होती है जब कोइ अपना छोड़ कर चले जाता है.. पर उनका दुःख कोई नहीं समझ पाता है. जमझेंगे भी कैसे इन्सानियत तो मर गयी है. आज हम अपने असतित्व को खोते जा रहे है हमें जरूरत है सोचने की हमे जरूरत है बदलाव की ..!
में तो आप लोगों से यही वितनी करूँगा किसी असहाय की मदद कीजिये, और अपने अन्दर इन्सानियत ज़िन्दा ज़रूर रखियेगा !!


!!!*धन्यवाद*!!!

****~!~*देव*~!~****
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Wednesday, May 27, 2009

**** !! जीवन के लिए अनमोल वचन और सूक्तियाँ!! ****



****अनमोल वचन और सूक्तियां****~!~*जीवन के लिये कुछ मह्त्वपूर्ण बातें*~!~

बेवकूफों और अन्‍धों के लिये शास्‍त्र और दर्पण क्‍या कर सकते हैं
यस्‍य नास्ति स्‍वयं प्रज्ञा शास्‍त्रं तस्‍य करांति किंलोचनाभ्‍यां विहीनस्‍य दर्पण: किं करिष्यितिजिस मनुष्‍य में स्‍वयं का विवेक, चेतना एवं बोध नहीं है, उसके लिये शास्‍त्र क्‍या कर सकता है । ऑंखों से हीन अर्थात अन्‍धे मनुष्‍य के लिये दर्पण क्‍या कर सकता है ।
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मूरख को उपदेश देने से क्‍या लाभ

उपदेशो हि मूर्खाणां प्रकोपाय न शान्‍तये ।पय: पानं भुजंगांनां केवलं विष वर्धनम् ।।मूर्ख को उपदेश करने का कोई लाभ नहीं है, इससे उसका क्रोध शान्‍त होने के बजाय और उल्‍टे बढ़ता ही है । जिस प्रकार सॉंप को दूध पिलाने से उसका जहर घटता नहीं बल्‍ि‍क उल्‍टे बढ़ता ही है  


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 !~!! ज्ञान स्वयमेव वर्तमान है, मनुष्य केवल उसका आविष्कार करता है। !~! !

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किसी बात से तुम उत्साहहीन न होओ; जब तक ईश्वर की कृपा हमारे ऊपर है, कौन इस पृथ्वी पर हमारी उपेक्षा कर सकता है? यदि तुम अपनी अन्तिम साँस भी ले रहे हो तो भी न डरना। सिंह की शूरता और पुष्प की कोमलता के साथ काम करते रहो।!

!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!  

वीरता से आगे बढो। एक दिन या एक साल में सिध्दि की आशा न रखो। उच्चतम आदर्श पर दृढ रहो। स्थिर रहो। स्वार्थपरता और ईर्ष्या से बचो। आज्ञा-पालन करो। सत्य, मनुष्य -- जाति और अपने देश के पक्ष पर सदा के लिए अटल रहो, और तुम संसार को हिला दोगे। याद रखो -- व्यक्ति और उसका जीवन ही शक्ति का स्रोत है, इसके सिवाय अन्य कुछ भी नहीं।

!!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~ !~!~!~!!!~!~!~!~!~!~!~!  ~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!!!! 

जब तक जीना, तब तक सीखना' -- अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक !!

!!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~ 

भाग्य बहादुर और कर्मठ व्यक्ति का ही साथ देता है। पीछे मुडकर मत देखो आगे, अपार शक्ति, अपरिमित उत्साह, अमित साहस और निस्सीम धैर्य की आवश्यकता है- और तभी महत कार्य निष्पन्न किये जा सकते हैं। हमें पूरे विश्व को उद्दीप्त करना है।!

!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~! 

अकेले रहो, अकेले रहो। जो अकेला रहता है, उसका किसीसे विरोध नहीं होता, वह किसीकी शान्ति भंग नहीं करता, न दूसरा कोई उसकी शान्ति भंग करता है।

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मेरी दृढ धारणा है कि तुममें अन्धविश्वास नहीं है। तुममें वह शक्ति विद्यमान है, जो संसार को हिला सकती है, धीरे - धीरे और भी अन्य लोग आयेंगे। 'साहसी' शब्द और उससे अधिक 'साहसी' कर्मों की हमें आवश्यकता है। उठो! उठो! संसार दुःख से जल रहा है। क्या तुम सो सकते हो? हम बार - बार पुकारें, जब तक सोते हुए देवता न जाग उठें, जब तक अन्तर्यामी देव उस पुकार का उत्तर न दें। जीवन में और क्या है? इससे महान कर्म क्या है ?

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हमारी नैतिक प्रकृति जितनी उन्नत होती है, उतना ही उच्च हमारा प्रत्यक्ष अनुभव होता है, और उतनी ही हमारी इच्छा शक्ति अधिक बलवती होती है।

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" हिंदी मेरे अपनों की भाषा है, मेरे सपनों की भाषा है. यह वह भाषा है जिसमें मैं सोचता हूँ, सपने देखता हूं।"   

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जन्म - मरण का सांसारिक चक्र तभी ख़त्म होता है जब व्यक्ति को मोक्ष मिलता है । उसके बाद आत्मा अपने वास्तविक सत्-चित्-आनन्द स्वभाव को सदा के लिये पा लेती है । *****************************************************************

बीस वर्ष की आयु में व्यक्ति का जो चेहरा रहता है, वह प्रकृति की देन है, तीस वर्ष की आयु का चेहरा जिंदगी के उतार-चढ़ाव की देन है लेकिन पचास वर्ष की आयु का चेहरा व्यक्ति की अपनी कमाई है।

!!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~! 

दुष्ट के साथ दुष्टता का ही व्यवहार करना चाहिये। ( शठे शाठ्यम समाचरेत्)

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ऐसा न कमाओ कि पाप हो जाये। ऐसे कार्यों में न उलझो कि चिंता से जिया जाऍ। ऐसा न खर्च करना कि कर्ज‌ा हो जाऍ। ऐसा न खाओ कि मर्ज़ हो जाऍ। ऐसा न बोलो कि क्लेश हो जाऍ। ऐसा न चलो कि देर हो जाऍ। 

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 समय का सदुपयोग :-जो समय को नष्‍ट करता है, समय भी उसे नष्‍ट कर देता है, समय का हनन करने वाले व्‍यक्ति का चित्‍त सदा उद्विग्‍न रहता है, और वह असहाय तथा भ्रमित होकर यूं ही भटकता रहता है, प्रति पल का उपयोग करने वाले कभी भी पराजित नहीं हो सकते, समय का हर क्षण का उपयोग मनुष्‍य को विलक्षण और अदभुत बना देता है’’

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प्रारब्‍ध और भाग्‍य :-मनुष्‍य के पूर्व कर्मों से प्रारब्‍ध का निर्माण होता है और प्रारब्‍ध से भाग्‍य बनता है, मनुष्‍य के वर्तमान कर्म उसके भविष्‍य का निर्धारण करते हैं । अत: प्राप्ति जितनी सहज हो उसे सहेजना उससे कई गुना दुष्‍कर होता है। 

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  "आलस्‍यो हि मनुष्‍यांणां महारिपु: ! आलस्‍य ही मनुष्‍य का महाशत्रु है"

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 तुलसी मीठे वचन सों, सुख उपजत चहुँ ओर ।वशीकरन एक मंत्र है तजि दे वचन कठोर ।।तुलसीदास जी कहते हैं, कि मधुर वाणी से चारों ओर सुख बढ़ता है और लोकप्रियता बढ़ती है । कठोर वाणी का त्‍याग करना ही सबसे बड़ा वशीकरण मंत्र है। 

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 विद्धा वह अच्छी, जिसके पढ़ने से बैर द्वेष भूल जाएँ। जो विद्वान बैर द्वेष रखता है, यह जैसा पढ़ा, वैसा न पढ़ा !!!! जो व्यक्ति शत्रु से मित्र होकर मिलता है, व धूल से धन बना सकता है !!!! कुसंगी है कोयलों की तरह, यदि गर्म होंगे तो जलाएँगे और ठंडे होंगे तो हाथ और वस्त्र काले करेंगे !!!! राजा यदि लोभी है तो दरिद्र से दरिद्र है और दरिद्र यदि दिल का उदार है तो राजा से भी सुखी है !!!! लोभ आपदा की खाई है संतोष आनन्द का कोष !

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जो मनुष्य यह चाहता है कि प्रभु सदा मेरे साथ रहे, उसे सत्य का ही सेवन करना चाहिए। भगवान कहते हैं कि मैं केवल सत्यप्रिय लोगों के ही साथ रहता हूँ 

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 सदा सच बोलना चाहिए। कलियुग में सत्य का आश्रय लेने के बाद और किसी साधन भजन की आवश्यकता नहीं। सत्य ही कलियुग की तपस्या है 

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 सार्थक और प्रभावी उपदेश वह है जो वाणी से नहीं, अपने आचरण से किया जाता है

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अपने अज्ञान को दूर करके मन-मन्दिर में ज्ञान का दीपक जलाना भगवान् की सच्ची पूजा है  

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देवता आशीर्वाद देने मै तब गूँगे रहते है, जब हमारा ह्र्दय उनकी वाणी सुनने मै बहरा रहता है !  

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असफ़लता केवल यह सिद्ध करती है कि सफ़लता का प्रयत्त्न पूरे मन से नहीं हुआ 

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अपना मूल्य समझो और विश्वास करो कि तुम संसार के सबसे मह्त्वपूर्ण व्यक्ति हो

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विपरीत परिस्थितियों में भी जो ईमान साहस और धैर्य को कायम रख सके, वस्तुत: वही सच्चा शूरवीर है.  

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दूसरों के साथ वो व्यवहार न करें, जो तुम्हें अपने लिये पसन्द न हो .! 

.!!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~!~! 

आलस्य से बड्कर कोई घातक एवं समीपवर्ती शत्रु दूसर कोइ नहीं 

 ****************************************************************मनुष्य परिस्थितियों क दास नहीं बल्कि उनका निर्माता, नियंत्रणकर्ता और स्वामी है  

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 सबसे बडा़ दीन दुर्बल वह है जिसका अपने ऊपर नियंत्रण नहीं 

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पाप अपने साथ रोग दोष, शोक, संकट और पतन भी ले कर आता है. 

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  परमेश्वर का प्यार केवल सदाचारी एवं कर्तव्य परायणों के लिये सुरक्षित है 

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दूसरों के साथ वैसे ही उदारता बरतो जैसी ईश्वर ने तुम्हारे साथ बरती है 

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 गॄहस्थ एक तपोवन है, जिसमें संयम, सेवा और सहिष्णुता की साधना करनी पड़्ती है 

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 सभ्यता एक स्वरूप है-साधगी, अपने लिये कठोरता और दूसरो के लिये उदारता 

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Wednesday, May 13, 2009

!!हमारा देश यहाँ के नेता हमारी सरकार एवं उनके झूठे वादे !!

!!हमारा देश यहाँ के नेता हमारी सरकार एवं उनके झूठे वादे !!

हमारी सरकार और उनके वादे? हमारा देश एक लोकतान्त्रंरिक देश है. यहाँ सबको अपना स्वतन्त्रता का अधिकार प्राप्त है. यहाँ सब लोग स्वतन्त्र है। पर दुख: इस बात का है कि हमारे देश मै आज भी आदे से अधिक लोग गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है। हमारे देश मे साक्षरता भी निम्न है। बेरोजगारी भी बढ रही है आज दुनियां के देश विकसित है। और हमारा देश विकाशील ऐसा क्यों? हमारे देश मे प्रति वर्ष अनेकों किसान आत्मह्त्या करता है क्यों? इन सबका जबाब किसि के पास नहि है यहाँ तक कि जो हमारि सरकार है उनके पास भी नही है हमारे देश में लगभग १ अरब ६ करोड़ से भी ज्यादा जनसख्यां है. और इतने बडे़ लोकतन्त्र देश मे हम लोग एक सही लीडर नही चुन सकते जो हमारे लिये बडी दु:ख एवं र्शम की बात है. और इसका नतीजा ये होता है कि हमारे देश की डोर गलत सरकार के हाथो मे चली जाती है. और जिसका परिणाम हमे ही भुगतना पड़्ता है। हमारे देश की ७५% आवादी गाँवो मे बसी है. और उनमे से भी कई ऐसे गाँव हैं जहाँ आज तक सड़क {मोटर मार्ग} बिजली आदि सुबिधायें नहीं है. लोग कई किमी० पैदल चलना पड़ता है और लोगो को कई कठनाईयों का सामना भी करना पड़ता है. पर हमारी सरकारे सोई हुई है. चुनाव के दौरान कई भाषण दिये जाते है मै भी एक ऐसे ही गाँव का रहने वाला हूँ यहाँ के लोगो का दुख: दर्द मुझसे बहतर कौन समझ सकता है?? मेरा गाँव का नाम झींझी (ईरानी) है। जो उत्तराखण्ड के चमोली जिले मे पड़ता है मेरे गाँव मै आज भी रोड़ {मोटर मार्ग} नही है बिजली नहीं है वहाँ आज भी २६-३० किमी० पैदल चलना पड़ता है. होस्पिटल नही है जब भी कोई बीमार पडता है तो उसके लिये या तो शहर ले जाना पड़ता है अगर समय नही हो तो वो जिन्दगी के आखरी सांसे गिनने लगते है. और यहाँ जैसे हजारो गाँव की आवाज किसी के कानो तक नहीं पहुँचती है. चुनवी दौर मै अनेक वादे किये जाते है. आज से कुछ साल पहले जब मै स्कूल मै पड़ता था तो वहाँ कई नेता आते थे वो भी वहीं तक जहाँ तक गाडी़ जाती है. और वहाँ के छोटे मोटे चम्चे लोग नेतओं के लिये मचं का आयोजन करते और जब नेता आते तो नेता कि चम्चागिरी करना और नेताओ के पीछे पीछे घूमना. और फ़िर नेता जी ने अपना भाषण सुरू करते नेता जी ने कई वादे मेरे सामने किये कि गाँव मै रोड.१ साल मै पहुँच जयेगी बिजली आयेगी और नेता के इन झूठे वादों से वहाँ की भोली जन्ता खुश हो गयी और नेता जी जीत गये. (मै नेता का नाम नही लिखन चाहुंगा क्योकि ये लेख ब्यक्तिगत किसि एक पर आधारित नहि है) परन्तु आज तक वहाँ कुछ नहीं हुआ. जैसा क तैसा. मै ये बात आज से लगभग 8-10 साल पहले की बात कर रहा हूँ! जब तक इनके पास कुछ नही होता है तब तक ये जनता के पीछे भागते है. पर जब इनके हाथ मे सत्ता आ जाती फ़िर वो सब कुछ भूल जाते हैं ये सब लोग तो आराम से आलिसान जगह पर आम जनता की खून पसिने की कमाई से जिन्दगी का आनन्द उठाते हैं इनको क्या पता कि महनत क्या होती है? काश इन लोगो ने भी कभी महनत की होती तब इनको पता चलता कि महनत कि कमाई क्या होती है? इनके पास रहने के लिये आलिसान कई बंगले है. पर हमारे देश मै कई लोग बेघर है. काश ये लोग अपने से ज्यादा जनता पर ध्यन दें तो देश क भला होगा. इन नेताओ कओ ये समघ न चहिये कि वो जनता के नौकर है जनता की सेवा करना इनका कर्तव्य है. जनता ने अपन पर्तिनिधित्व इनको चुना है. इन पर जनता का अधिकार है न कि जनता पर इनका अधिकार !!जनता जब चाहे इनको रख सकती है जब चाहे गिरा सकती है. पर ये पर इनको एक दूसरे से लडाने जति के नाम पर धर्म के भेद पर क्योकि इनको तो कुछ होता नहीं है अपने फ़ायदे के लिये किसि हद तक जा सकते हैं ये नेताओ मै ज्यादा लोग या तो दाग वाले है या किसि केश मै फ़ँसा हुआ हैं किसि के पास आय से अधिक पैसा है करोड़ो अरबों पैसा है ये कहाँ से आया?? बिना महनत के पैसे नही कमा सकते पर ये लोग तो महनत नहि करते फ़िर इनके पास इतना पैसा कहां से आता? कोइ नहीं पूछ्ता क्यों?? ये सब हमारा जनता क पैसा है. जो विकाश के नाम पर अपना पेट भरते है!!

क्योकि दूसरो के बारे मै कौन सोचता है? सबको अपना भला चाहिये अपने स्वर्थ के लिये कुछ भी कर सकते है लोग. कभी सोचा है कि इसके जिम्मेदार कौन है? इसके जिम्मेदार हम लोग खुद हैं क्योकि हम लोग जागरूक नही हैं। मतदान के समय १००% में से सिर्फ़ ४० से ६०% तक ही मतदान होता है क्यों?? क्योंकि हम लोग जागरूक नहीं है. पहले हम लोगो को जगरूक होने की जरूरत है पूरे देश को जगरूक होने की आवश्यक्ता है। अगर हम सही प्रतिनिधि नही चुनेगे तो वो हमारे एवं हमारे देश के लिये बहुत बड़ा खतरा साबित हो सकता है. आज हमारे देश को चाहिये कि यहाँ बदलाव हो देश के दुश:मनो को खतम करो. देश के (दीमक के कीडो़) को मिटाना. देश में एक नई क्रान्ति लाना हम युआवो का कर्तव्य है. चाहे वे किसी रूप में हो. अगर हम लोग अपने देश के लिये कुछ करना चाहते तो हमें जागना होगा.!


मै अपने देश के सभी लोगो से यही विनती करूंगा कि अपना अधिकार का परयोग करें अपने अधिकार को समझें और इस देश के विकास मै सहयोग दे. हमारे देश की ऐसी गन्दी राजनीति को जड. से उखाड. कर नया युग क निर्माण करें!!

धन्यवाद !!!



****~!~*देव*~!~****

!!!!जय हिन्द!!!!


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(नोट:- यह लेख किसि ब्यक्तिगत आधार पर आधरित नही है कृपया इसमे कोइ आपतजनिक शब्द का प्रयोग हुआ हो तो उसके लिये क्षमा प्रार्थी )
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!! हमार देश यहाँ के नेता हमारी सरकार एवं उनके झूठे वादे !!

!! हमार देश यहाँ के नेता हमारी सरकार एवं उनके झूठे वादे
!!

हमारी सरकार और उनके वादे? हमारा देश एक लोकतान्त्रंरिक देश है. यहाँ सबको अपना स्वतन्त्रता का अधिकार प्राप्त है. यहाँ सब लोग स्वतन्त्र है। पर दुख: इस बात का है कि हमारे देश मै आज भी आदे से अधिक लोग गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है। हमारे देश मे साक्षरता भी निम्न है। बेरोजगारी भी बढ रही है आज दुनियां के देश विकसित है. और हमारा देश विकाशील ऐसा क्यों? हमारे देश मे प्रति वर्ष अनेकों किसान आत्मह्त्या करता है क्यों? इन सबका जबाब किसि के पास नहि है यहाँ तक कि जो हमारि सरकार है उनके पास भी नही है हमारे देश में लगभग १ अरब ६ करोड़ से भी ज्यादा जनसख्यां है. और इतने बडे़ लोकतन्त्र देश मे हम लोग एक सही लीडर नही चुन सकते जो हमारे लिये बडी दु:ख एवं र्शम की बात है. और इसका नतीजा ये होता है कि हमारे देश की डोर गलत सरकार के हाथो मे चली जाती है. और जिसका परिणाम हमे ही भुगतना पड़्ता है। हमारे देश की ७५% आवादी गाँवो मे बसी है. और उनमे से भी कई ऐसे गाँव हैं जहाँ आज तक सड़क {मोटर मार्ग} बिजली आदि सुबिधायें नहीं है. लोग कई किमी० पैदल चलना पड़ता है और लोगो को कई कठनाईयों का सामना भी करना पड़ता है. पर हमारी सरकारे सोई हुई है. चुनाव के दौरान कई भाषण दिये जाते है मै भी एक ऐसे ही गाँव का रहने वाला हूँ यहाँ के लोगो का दुख: दर्द मुझसे बहतर कौन समझ सकता है?? मेरा गाँव का नाम झींझी (ईरानी) है। जो उत्तराखण्ड के चमोली जिले मे पड़ता है मेरे गाँव मै आज भी रोड़ {मोटर मार्ग} नही है बिजली नहीं है वहाँ आज भी २६-३० किमी० पैदल चलना पड़ता है. होस्पिटल नही है जब भी कोई बीमार पडता है तो उसके लिये या तो शहर ले जाना पड़ता है अगर समय नही हो तो वो जिन्दगी के आखरी सांसे गिनने लगते है. और यहाँ जैसे हजारो गाँव की आवाज किसी के कानो तक नहीं पहुँचती है. चुनवी दौर मै अनेक वादे किये जाते है. आज से कुछ साल पहले जब मै स्कूल मै पड़ता था तो वहाँ कई नेता आते थे वो भी वहीं तक जहाँ तक गाडी़ जाती है. और वहाँ के छोटे मोटे चम्चे लोग नेतओं के लिये मचं का आयोजन करते और जब नेता आते तो नेता कि चम्चागिरी करना और नेताओ के पीछे पीछे घूमना. और फ़िर नेता जी ने अपना भाषण सुरू करते नेता जी ने कई वादे मेरे सामने किये कि गाँव मै रोड.१ साल मै पहुँच जयेगी बिजली आयेगी और नेता के इन झूठे वादों से वहाँ की भोली जन्ता खुश हो गयी और नेता जी जीत गये. (मै नेता का नाम नही लिखन चाहुंगा क्योकि ये लेख ब्यक्तिगत किसि एक पर आधारित नहि है) परन्तु आज तक वहाँ कुछ नहीं हुआ. जैसा क तैसा. मै ये बात आज से लगभग 8-10 साल पहले की बात कर रहा हूँ! जब तक इनके पास कुछ नही होता है तब तक ये जनता के पीछे भागते है. पर जब इनके हाथ मे सत्ता आ जाती फ़िर वो सब कुछ भूल जाते हैं ये सब लोग तो आराम से आलिसान जगह पर आम जनता की खून पसिने की कमाई से जिन्दगी का आनन्द उठाते हैं इनको क्या पता कि महनत क्या होती है? काश इन लोगो ने भी कभी महनत की होती तब इनको पता चलता कि महनत कि कमाई क्या होती है? इनके पास रहने के लिये आलिसान कई बंगले है. पर हमारे देश मै कई लोग बेघर है. काश ये लोग अपने से ज्यादा जनता पर ध्यन दें तो देश क भला होगा. इन नेताओ कओ ये समघ न चहिये कि वो जनता के नौकर है जनता की सेवा करना इनका कर्तव्य है. जनता ने अपन पर्तिनिधित्व इनको चुना है. इन पर जनता का अधिकार है न कि जनता पर इनका अधिकार !!जनता जब चाहे इनको रख सकती है जब चाहे गिरा सकती है. पर ये पर इनको एक दूसरे से लडाने जति के नाम पर धर्म के भेद पर क्योकि इनको तो कुछ होता नहीं है अपने फ़ायदे के लिये किसि हद तक जा सकते हैं ये नेताओ मै ज्यादा लोग या तो दाग वाले है या किसि केश मै फ़ँसा हुआ हैं किसि के पास आय से अधिक पैसा है करोड़ो अरबों पैसा है ये कहाँ से आया?? बिना महनत के पैसे नही कमा सकते पर ये लोग तो महनत नहि करते फ़िर इनके पास इतना पैसा कहां से आता? कोइ नहीं पूछ्ता क्यों?? ये सब हमारा जनता क पैसा है. जो विकाश के नाम पर अपना पेट भरते है!!
क्योकि दूसरो के बारे मै कौन सोचता है? सबको अपना भला चाहिये अपने स्वर्थ के लिये कुछ भी कर सकते है लोग. कभी सोचा है कि इसके जिम्मेदार कौन है? इसके जिम्मेदार हम लोग खुद हैं क्योकि हम लोग जागरूक नही हैं। मतदान के समय १००% में से सिर्फ़ ४० से ६०% तक ही मतदान होता है क्यों?? क्योंकि हम लोग जागरूक नहीं है. पहले हम लोगो को जगरूक होने की जरूरत है पूरे देश को जगरूक होने की आवश्यक्ता है। अगर हम सही प्रतिनिधि नही चुनेगे तो वो हमारे एवं हमारे देश के लिये बहुत बड़ा खतरा साबित हो सकता है. आज हमारे देश को चाहिये कि यहाँ बदलाव हो देश के दुश:मनो को खतम करो. देश के (दीमक के कीडो़) को मिटाना. देश में एक नई क्रान्ति लाना हम युआवो का कर्तव्य है. चाहे वे किसी रूप में हो. अगर हम लोग अपने देश के लिये कुछ करना चाहते तो हमें जागना होगा.!

मै अपने देश के सभी लोगो से यही विनती करूंगा कि अपना अधिकार का परयोग करें अपने अधिकार को समझें और इस देश के विकास मै सहयोग दे. हमारे देश की ऐसी गन्दी राजनीति को जड. से उखाड. कर नया युग क निर्माण करें!!

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Tuesday, May 5, 2009

!!~सप्तकुण्ड~!!










         !!~सप्तकुण्ड~!!


सप्त्कुण्ड सायद आप लोगो को पहली बार ये नाम सुनाई दे रहा होगा. पर क्या करे हमारे देश मे अच्छे जगहो के बारे मे कम लोगो को पता होता ये हमारी कमी कह लो या हमारे प्रशासन की गलती ये जगह एक धार्मिक एवं पर्यटक स्थल है। क्योकि ऐसे जगहो पर या तो रोड नही होती है पर्याप्त साधन नही होते है. जिस कारण हम सफ़ल नही हो पाते और मीडिया से दूर रहने के कारण ऐसे हमारे देश की धरोहर पीछे रह जाती है। हमारे देश मे कई ऐसे जगह है जिनसे लोग अनजान है और जो जगह हमारे देश की अमूल्य धरोहर है। सोचिये अगर हमारे देश मे ऐसी जगह है जहाँ स्वर्ग बसता है.तो हमारे देश कितना महान है. पर शर्म कि बात यह है कि खुद हमे भी अपने देश का पता नही है. तो हम दूसरो को क्या बतायेगे?? अगर हम लोग जरा सोचे तो यह हमारे देश के लिये बहुत गौरव वाली बात होगी।
चलो अब मै आपको सप्तकुण्ड के बारे मै बताता
हूँ :-

सप्तकुण्ड एक धार्मिक एवं पर्यटक स्थल है यह भारत मे उत्तराखण्ड राज्य के चमोली जिले मे झींझी गाँव से २६ किमी. की दूरी पर पड़ता है। यहाँ का दृष्य बड़ा ही सुन्दर है.यहाँ की सुन्दरता मन को मोह देने वाली एवं पेड़ो कि ठन्डी छाँव पहाडो़ की सुन्दर सृंखला सुन्दर वादियां मन को मोह लेती है यहाँ की ठंडी हवायें, लगता है जैसे कि पूरी पृथ्वी की सुन्दरता यहाँ आकर बस गयी है! यहाँ आने के बाद इन्सान अपने को भूल जाता है। ऐसा प्रतीत होता है कि स्वर्ग मे आ गये है. पूरी तरह प्रकृति में खो जाता है! इस भाग दौड. की जिन्दगी मे इन्सान को अपने लिये वक्त नहीं होता है. परन्तु वहाँ इन्सान अपनी सारी परेशानिया भूल जाता है. और एक नयी जिन्दगी को महसूस करता है! सायद यही इन्सानो के लिये स्वर्ग है. जहां प्रकृति के सारे रंग नज़र आते है।
सप्त्कुण्ड सात कुण्डो का स्थल है. यहाँ सात बडे़ कुण्ड (झील) है जो बहुत ही मनोरम एवं सुन्दर है! यह एक धार्मिक एवं पर्याटक स्थल है, स्थानिय गाँव के लोगो के द्वारा प्रति वर्ष यहाँ भगवान शिव एवं माँ पार्वती भगवती पूजा की जाती है. यहाँ मान्यता के अनुसार यहाँ भगवान शिव का वास स्थान है. यहाँ दैवीय शक्तियाँ निवास करती है. और वहाँ जाने वालों को ये प्रतीत होता है. और लोगो को इसका अनुभव भी हो चुका है.
सप्त्कुण्ड जमीनी तल से लगभग २०००० फ़ुट की उंचाई पर है! और इतनी उंचाई पर सात कुण्ड एक अजूबा लगता है। ये एक रहस्य है अभी तक ये किसी को पता नहि चल पाया है कि यहाँ की हकीकत क्या है. पर इतना तो जरूर है कि वहाँ कुछ तो जरूर है. सायद ये प्रकृति की देन|
सप्त्कुण्ड तक पहुचँने के लिये पहले कोई आसान मार्ग नही था. परन्तु अब वहाँ आसानी से पहुँचा जा सकता है, सन, २००३ मे झींझी गाँव से मार्ग का निर्माण किया गया, वहाँ तक पहुंचने के लिये पैदल या घोडे़ खच्चर उपलब्द होते है। और यहाँ जाने के लिये मई से दिसम्बर तक अनुकूल मौसम होता है। धीरे-धीरे लोगो को यहाँ का पता चल रहा है. और लोगो का रुझान उदर की और बड़ रहा है. और लोग वहां जा रहे है।
सप्तकुण्ड जाने के लिये अगर दिल्ली से जाना है तो इस प्रकार जाना होगा :-

दिल्ली से हरिद्वार --------------- २१० किमी० मोटर मार्ग.
हरिद्वार से ऋषिकेश --------------- २४ किमी० मोटर मार्ग.
ऋषिकेश से देवप्रयाग --------------- ७० किमी० मोटर मार्ग.
देवप्रयाग से श्रीनगर --------------- ३३ किमी० मोटर मार्ग.
श्रीनगर से रूद्रप्रयाग --------------- ३६ किमी० मोटर मार्ग.
रूद्रप्रयाग से कर्णप्रयाग -------------- ३१ किमी० मोटर मार्ग.
कर्णप्रयाग से नन्दप्रयाग -------------- २१ किमी० मोटर मार्ग.
नन्दप्रयाग से चमोली -------------- १० किमी० मोटर मार्ग.
चमोली से निजमुला -------------- २० किमी० मोटर मार्ग.
निजमुला से झीझी गाँव -------------- २२ किमी० पैदल मार्ग.
झींझी से सप्तकुण्ड -------------- २४ किमी० पैदल मार्ग.

आशा करता हूँ कि आप यहाँ जरूर जायेंगे और आपको यह जगह बहुत पसन्द आयेगी। अगर कोई तुर्टि हुई हो तो उसके लिये मै छ्मा चाहुँगा. मेरी पूरी कोसिस रहेगी कि जो हमारे देश मे जो धरोहर है उनको दुनिया की सामने लाऊं लोगो से उनका परिचय करवाऊं. तकि लोगो को भी पता चले हमारे देश मॆ ऎसे भी जगह जहाँ जाकर ऐसा प्रतीत हो कि सच मॆ हमारा देश सांस्कृतिक विरासत से परिपूर्ण एवं महान हैं। हमारे देश मे वो सब कुछ है जो दुनियाँ के और देशों मॆ नहीं है. हमको चाहिये को उनको ढूंड कर सबके सामने लायें! तभी हम अपने देश को दुनिया के देशो मॆ सबसे आगे ला सकते है! हम लोगो को बता सकें कि हमारा भारत महान है. सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा!

धन्यवाद !!

!! जय हिन्द !!


**** देव ****

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Saturday, April 25, 2009

मैं
"मै" क्या आपने कभी सोचा है?? एक शब्द मैं सिर्फ़ एक शब्द? बोलने मे आसान होता है पर इसका अर्थ क्या होता है? लोग समझ नही पाते है. अगर आप सोच कर देखें तो इसका बहुत बडा अर्थ निकलता है। मैं का अर्थ वैसे तो लोग अपने लिए इस्तेमाल करते हैं, परन्तु अगर गौर से सोचा जाये तो इसके अनेक अर्थ निकलते है. अर्थात जब भी कोइ मनुष्य किसी कार्य को करता है तो बॊलता है मैं इस काम को कर सकता हूँ। इसका मतलब वो उस कार्य को कर सकता है, यहाँ पर मैं का परयोग कार्य करने के लिये हुआ है.पर अगर कोई ब्यक्ति ये कह्ता है कि मै बहुत बढा आदमी हूँ और मेरे से बढ कर कोइ नहीं है. यहाँ पर मैं का प्रयोग अपने को बडा दिखाने को किया है। जब कभी हम देखते है सामन्यतः जब दो ब्यक्ति आपस में लडा़ई करते है आम तौर से मैं शब्द का प्रयोग ज्यादा होता है कि मै कौन हूं जनता नही, मै ये हूं, मै वो हूं, मै ये कर दूंगा, मै वो कर दूंगा जैसे शब्दो का प्रयोग होता है. जरा सोचिये अगर यहाँ पर मैं नही होता तो?? इन्सान मै के कारण अपना अस्तित्व भूल जाता है।
मैं के कारण इन्सान क्या से क्या बन जाता है.। मनुष्य के अन्दर एक अहम है. ये मैं के रूप मे इन्सान के अन्दर अपना अस्तित्व जमाये हुये है. और ये अहम इन्सान को अन्दर ही अन्दर खोखला बनाता है. और मनुष्य़ अन्दर ही अन्दर इसमे धसता रहता है. उसे पता ही नही चलता कि कब वो इसमे फ़ँस गया है.। जब उसे इसका परणाम भुगतना पडता है तो फ़िर उसे याद आता है उसने क्या किया फ़िर वो सोचता है कि मैने ऐसे क्यों किया? अगर उस समय वो अपने मैं (अहम) को नही निकालता अगर उसमे अहम नहीं होता तो ये परिणाम नही भुगतना पड़ता.।

मतलब यही है कि इन्सान मे ‘मैं’ जब तक रहता है तब तक अपने अस्तित्व को नही पहिचान पता है. और इसी आवेश मे उसे सही और गलत मे अन्तर नजर नही आता जिस कारण उसे पच्छ्ताना पड़ता है। स्पष्ट है कि इन्सान को कभी घमण्ड नही करना चाहिये. इन्सान मे मै नहि होना चाहिये.
हमे घमंण्ड, ईर्ष्या,अहम,घॄणा नही करना चाहिये. हम क्यो ये सब करते है? कोइ नही सोचता है, जरा सोच कर देखिये. अगर हम इन सब को छोड दें तो हम एक अच्छे इन्सान बन सकते है। अपने अस्तित्व को समझ पाता है और वो मनुष्य अपने जीवन मे सदैव आगे बढ़ता है। साधारण एवं स्वच्छ जीवन जीता हैं. सिर्फ़ मैं को छोडने से इन्सान को अपने जीवन का मतलब समझने लगता है. पर लोग ये समझते नही है. अपने को ऊँचा दिखाने के लिये, अपनी झूठी शान के लिये वो सिर्फ़ मैं का परयोग करते है.!

पर अपने गिरेवान मे नही देखते है. कि हमारा अस्तित्व क्या है? क्योकि सच्चाई से डर लगता है. बस इसको छुपाने के लिये लोग अपने को बडे़ बनने का ढौग करते है.
अगर ‘मैं’ को त्यागने से इन्सान अपने जीवन मे सुखी एवं खुशहाल हो सकता है तो हमारी भलाई इसी मे है कि हमे ‘मैं’ का त्याग कर देना चाहिये. और अपने जीवन मे सच्चाई का सामना करना चाहिये.
जरा सोचिये


ध्न्याबाद !!


****देव****
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!!जय भारत!!
 C@Dev Negi (देव नेगी)

" ~मैं~ "

" ~मैं~ "
"मै" क्या आपने कभी सोचा है?? एक शब्द मैं सिर्फ़ एक शब्द? बोलने मे आसान होता है पर इसका अर्थ क्या होता है? लोग समझ नही पाते है. अगर आप सोच कर देखें तो इसका बहुत बडा अर्थ निकलता है। मैं का अर्थ वैसे तो लोग अपने लिए इस्तेमाल करते हैं, परन्तु अगर गौर से सोचा जाये तो इसके अनेक अर्थ निकलते है. अर्थात जब भी कोइ मनुष्य किसी कार्य को करता है तो बॊलता है मैं इस काम को कर सकता हूँ। इसका मतलब वो उस कार्य को कर सकता है, यहाँ पर मैं का परयोग कार्य करने के लिये हुआ है.पर अगर कोई ब्यक्ति ये कह्ता है कि मै बहुत बढा आदमी हूँ और मेरे से बढ कर कोइ नहीं है. यहाँ पर मैं का प्रयोग अपने को बडा दिखाने को किया है। जब कभी हम देखते है सामन्यतः जब दो ब्यक्ति आपस में लडा़ई करते है आम तौर से मैं शब्द का प्रयोग ज्यादा होता है कि मै कौन हूं जनता नही, मै ये हूं, मै वो हूं, मै ये कर दूंगा, मै वो कर दूंगा जैसे शब्दो का प्रयोग होता है. जरा सोचिये अगर यहाँ पर मैं नही होता तो?? इन्सान मै के कारण अपना अस्तित्व भूल जाता है।

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