Wednesday, May 16, 2012

हमारे देश की स्थिति और घोटाले.




किसी जमाने में सोने की चिढिया कही जाने वाला हमारा देश भारत की अब स्थिति दयनीय होती जा रही है, और इससे दोषी कौन है??  किसी न किसी रूप मे खुद हम इसके जिम्मेदार है,
देखो आज कैसी स्थिति आ गयी है, कही करोंडों रूपये के घोटाले हो रहे है तो कहीं लूटपाट, कहीं काला धन विदेशो मे जमा हो रहा है, गरीबों का शोषण हो रहा है, गरीब और गरीब होते जा रहे है अमीर और अमीर होते जा रहा है, महंगाई लगातार बढती जा रही है एक आम इन्सान जा जीना मुश्किल होते जा रहा है, किसी को तो दो वक़्त की रोटी भी नसीब नही हो पा रही है, इस देश मे चाहे कुछ भी हो मारा हमेशा गरीब ही जाता है करता कोई और है भरता कोई और है, एक आम आदमी दिन रात मेहनत करके अपने खून पसीने की कमाई का कुछ हिस्सा सरकार को कर के रूप मे दान देता है राकि उस रकम से देश का विकास हो, पर ऊंचे स्तर पर बैठे ऎसा होना नही देते हैं क्योंकि उनको अपने पेट भरने से मतलब है, आम जनता की किसको पडी़..? सोचने की बात ये है कि इनके पास ये सब पैसा आता कहाँ से..? इसमे सोचने की क्या जरूरत.? ये सब हम सबका पैसा है जो हम सरकार को अपने हिस्से की रकम देते है वो देश के विकास मे नहीं बल्कि इन लोगों के परिवार के विकास हो रहा है विदेशो मे वो धन कई वर्षो से जमा है, 
पर एक बात समझ मे नहीं आयी कई प्रयासों के बावजूद भी आज तक वो धन भारत मे नहीं आया क्यो..? बाबा राम देव के द्वारा चलाये गये इस मुहिम के बाद खुद बाबा राम देव पर अंधेरे मे धोखे से हमले हुये.. आखिर क्यो..? ऎसे ही कितने क्यों के जवाब अभी बाकी है और सवाल हर उस हिन्दुस्तानी के अन्दर है जो सच्चा हिन्दुस्तानी है, पर कौन देगा इन सब क्यों का जवाब.? क्या सिर्फ हम एक सवाल तक ही सीमित रह जायेंगे? आखिर कब तक ?  कौन देगा इन सब क्यों का जवाब..? कोई नहीं क्योकि कोइ जवाब देने वाला ही नही है. बडे़ स्तर पर बैठे लोगों का देश को लूटने मे ही सार समय चला जाता है और छोटे स्तर के लोग अपनी रोजमर्रा की जिन्दगी से बाहर ही नहीं निकल पाते है. दो वक़्त की रोटी के लिये एक मजदूर जितनी मेहनत करता है अगर हमारे देश के नेता उसका 1% भी काम करे तो हमारा देश दुनियां के विकसित देशो मे होता, और इस देश मे ना ही गरीबी होती और ना ही भूखमरी और ना ही इस देश की अज ये दुर्दशा होती!
ये हमारा दुर्भाग्य ही है कि आज हमारे देश की हालत ये है.. और कहीं ना कही इससे जिम्मेदार हम खुद हैं. हम ही सही इंसान को पहिचानने मे गलती करते है और ऎसे देश के ळुटेरो, चोरों को गद्दी सौंप देते है, और हम सो जाते है और वो लोग अपनी मन मर्जी करते है फिर हम अपने को वैसे ही डाल देते है फिर उसी के अनुसार जीने लग जाते है, और वो अपना काम करते रहते है, फिर कभी कोई जाग उठता है और तब तक बहुत देर हो जाती है, ये भी सच है कि आज कल किसी के पास समय नहीं है मजबूरी भी है, अगर अपना काम छोड़ कर अगर इन सब लोगों के खिलाफ आवाज उठाते है तो खायेंगे क्या.? परिवार भूखा ही मर जायेगा. इसलिये जो चल रहा है चलने दो और उसी के हिसाब से हमने जीना सीख लिया है.!
हमारे कानून की तो बात ही क्या है आज का कानून सिर्फ पैसे वाले दलालों के लिए है सच्चाई एवं ईमानदारों के लिये नहीं. लगता है कि कानून भी पैसे एवं ताकत का गुलाम बन गया है, कहते है ना पैसे है तो सब है और यहाँ सब बिकता है आज कल ये सब सत्य होते जा रहा है. पैसा ही सब कुछ बन गया है ईमान धर्म कुछ नहीं बचा है इन्सान अपनी इन्सानीयत भूल चुके हैं। पैसे है तो सच कुछ है नहीं तो कुछ भी नहीं. ये सत्य भी है पर सिर्फ कुछ हद तक, परन्तु अब तो इसका मतलब ही बदल गया है., 
हमारा कानून सिर्फ नेताओं और बडें स्तर पर बैठे अधिकारियों के हाथो की कठपुतली बन कर रह गयी है, बडे बडे भ्रष्ट नेता सिर्फ दिखावे के लिये जेल जाते है फिर उनकी जमानत आराम से हो जाती है,  टेलीकोम घोटाले के महान दिग्गज नेताओं को आसानी से जमानत मिल गयी है, कितने बडी़ शर्म की बात है पूरे देश में.. अगर एक गरीब  500 (पाँच सौ रूपये) की चोरी करता है तो उसे कडी़ सजा मिलती है पर हजारों करोडों रूपये की चोरी करके ये लूटेरे आराम से आजाद हो रहे है..! ये है हमारा महान कनून, कई निर्दोष  जिन्दगी भर न्याय पाने के लिये न्ययालय के चक्कर काटते काटते थक  जाते है और देश के लूटेरे सबको खरीद कर बाहर निकल जाते हैं । अब तो लोगों का न्याय से विश्वाश ही उठता दिख रहा है, उपर से नीचे तक सब के सब बिके हुये है, सारे नेता किसी न किसी विवाद मे घिरे हुये है. कोई अश्लीलता (स्केम्) मे पकडा़ तो कोई संसद मे गंदी पोर्न फिल्म देखते हुये पकडा़ जा रहा है तो कई करोडों के घोटाले में,। यहाँ तक कि लोगों कि न्याय देने वाले न्यायाधीश भी एसे कामों मे पकडे़ जा रहे है ये बडी शर्म की बात है, ये सोचने वाली बात है कि आज हम और हमारा देश किस तरफ जा रहे हैं !  एक तरफ तो कहा जाता है कि कानून सबके लिये समान है एक है और दूसरी तरफ भ्रष्ट और चोर आसानी से छूट जाता है पर एक गरीब ईमानदार को न्याय नहीं मिल पाता, फिर ये कहावत सत्य होती है कि कानून अन्धा है. वो सच्चाई को देख नहीं सकता ! 
एक तरफ हमारे यहाँ आतंकवादी की सेवा की जा रही है वहीं दूसरी तरफ हमारी रक्षा करने वाली देश के लिये अपनी जान न्योछावर करने वाली सेना के साथ समजौता किया जा रहा है, वहाँ भी घोटाला हो रहा है ! देश के प्रमुख दुश्मन कसाव को विरयानी खिलायी जा रही है और इदर लाखो लोग बिना खाने के भूखे मर रहे है ! पर इतना सोचे कौन.? 
अगर कोई इन सब के खिलाफ आवाज उठाता है तो उसे भी दबाने की पूरी कोशिश की जाती है, यहाँ तक कि ये अपने बारे मे सच्चाई सुन नहीं पाते अगर कोई इनके बारे मे सच्चाई बोले तो देश का काम छोड कर सांसद मे सिर उसी मुद्दे पर चरचा होता है. और सांसद कभी तो अखाडा बन जाता है ! ये है हमारे देश के नेता..!! ऎसा देश है मेरा..!! 
अब ये हम पर निर्भर करता है कि हम कैसी जिन्दगी जीने का फैसला करते हैं... !!!




सोचिये..!!


!!!*धन्यवाद*!!!

@****~!~* देव *~!~****


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