Tuesday, May 5, 2009

!!~सप्तकुण्ड~!!










         !!~सप्तकुण्ड~!!


सप्त्कुण्ड सायद आप लोगो को पहली बार ये नाम सुनाई दे रहा होगा. पर क्या करे हमारे देश मे अच्छे जगहो के बारे मे कम लोगो को पता होता ये हमारी कमी कह लो या हमारे प्रशासन की गलती ये जगह एक धार्मिक एवं पर्यटक स्थल है। क्योकि ऐसे जगहो पर या तो रोड नही होती है पर्याप्त साधन नही होते है. जिस कारण हम सफ़ल नही हो पाते और मीडिया से दूर रहने के कारण ऐसे हमारे देश की धरोहर पीछे रह जाती है। हमारे देश मे कई ऐसे जगह है जिनसे लोग अनजान है और जो जगह हमारे देश की अमूल्य धरोहर है। सोचिये अगर हमारे देश मे ऐसी जगह है जहाँ स्वर्ग बसता है.तो हमारे देश कितना महान है. पर शर्म कि बात यह है कि खुद हमे भी अपने देश का पता नही है. तो हम दूसरो को क्या बतायेगे?? अगर हम लोग जरा सोचे तो यह हमारे देश के लिये बहुत गौरव वाली बात होगी।
चलो अब मै आपको सप्तकुण्ड के बारे मै बताता
हूँ :-

सप्तकुण्ड एक धार्मिक एवं पर्यटक स्थल है यह भारत मे उत्तराखण्ड राज्य के चमोली जिले मे झींझी गाँव से २६ किमी. की दूरी पर पड़ता है। यहाँ का दृष्य बड़ा ही सुन्दर है.यहाँ की सुन्दरता मन को मोह देने वाली एवं पेड़ो कि ठन्डी छाँव पहाडो़ की सुन्दर सृंखला सुन्दर वादियां मन को मोह लेती है यहाँ की ठंडी हवायें, लगता है जैसे कि पूरी पृथ्वी की सुन्दरता यहाँ आकर बस गयी है! यहाँ आने के बाद इन्सान अपने को भूल जाता है। ऐसा प्रतीत होता है कि स्वर्ग मे आ गये है. पूरी तरह प्रकृति में खो जाता है! इस भाग दौड. की जिन्दगी मे इन्सान को अपने लिये वक्त नहीं होता है. परन्तु वहाँ इन्सान अपनी सारी परेशानिया भूल जाता है. और एक नयी जिन्दगी को महसूस करता है! सायद यही इन्सानो के लिये स्वर्ग है. जहां प्रकृति के सारे रंग नज़र आते है।
सप्त्कुण्ड सात कुण्डो का स्थल है. यहाँ सात बडे़ कुण्ड (झील) है जो बहुत ही मनोरम एवं सुन्दर है! यह एक धार्मिक एवं पर्याटक स्थल है, स्थानिय गाँव के लोगो के द्वारा प्रति वर्ष यहाँ भगवान शिव एवं माँ पार्वती भगवती पूजा की जाती है. यहाँ मान्यता के अनुसार यहाँ भगवान शिव का वास स्थान है. यहाँ दैवीय शक्तियाँ निवास करती है. और वहाँ जाने वालों को ये प्रतीत होता है. और लोगो को इसका अनुभव भी हो चुका है.
सप्त्कुण्ड जमीनी तल से लगभग २०००० फ़ुट की उंचाई पर है! और इतनी उंचाई पर सात कुण्ड एक अजूबा लगता है। ये एक रहस्य है अभी तक ये किसी को पता नहि चल पाया है कि यहाँ की हकीकत क्या है. पर इतना तो जरूर है कि वहाँ कुछ तो जरूर है. सायद ये प्रकृति की देन|
सप्त्कुण्ड तक पहुचँने के लिये पहले कोई आसान मार्ग नही था. परन्तु अब वहाँ आसानी से पहुँचा जा सकता है, सन, २००३ मे झींझी गाँव से मार्ग का निर्माण किया गया, वहाँ तक पहुंचने के लिये पैदल या घोडे़ खच्चर उपलब्द होते है। और यहाँ जाने के लिये मई से दिसम्बर तक अनुकूल मौसम होता है। धीरे-धीरे लोगो को यहाँ का पता चल रहा है. और लोगो का रुझान उदर की और बड़ रहा है. और लोग वहां जा रहे है।
सप्तकुण्ड जाने के लिये अगर दिल्ली से जाना है तो इस प्रकार जाना होगा :-

दिल्ली से हरिद्वार --------------- २१० किमी० मोटर मार्ग.
हरिद्वार से ऋषिकेश --------------- २४ किमी० मोटर मार्ग.
ऋषिकेश से देवप्रयाग --------------- ७० किमी० मोटर मार्ग.
देवप्रयाग से श्रीनगर --------------- ३३ किमी० मोटर मार्ग.
श्रीनगर से रूद्रप्रयाग --------------- ३६ किमी० मोटर मार्ग.
रूद्रप्रयाग से कर्णप्रयाग -------------- ३१ किमी० मोटर मार्ग.
कर्णप्रयाग से नन्दप्रयाग -------------- २१ किमी० मोटर मार्ग.
नन्दप्रयाग से चमोली -------------- १० किमी० मोटर मार्ग.
चमोली से निजमुला -------------- २० किमी० मोटर मार्ग.
निजमुला से झीझी गाँव -------------- २२ किमी० पैदल मार्ग.
झींझी से सप्तकुण्ड -------------- २४ किमी० पैदल मार्ग.

आशा करता हूँ कि आप यहाँ जरूर जायेंगे और आपको यह जगह बहुत पसन्द आयेगी। अगर कोई तुर्टि हुई हो तो उसके लिये मै छ्मा चाहुँगा. मेरी पूरी कोसिस रहेगी कि जो हमारे देश मे जो धरोहर है उनको दुनिया की सामने लाऊं लोगो से उनका परिचय करवाऊं. तकि लोगो को भी पता चले हमारे देश मॆ ऎसे भी जगह जहाँ जाकर ऐसा प्रतीत हो कि सच मॆ हमारा देश सांस्कृतिक विरासत से परिपूर्ण एवं महान हैं। हमारे देश मे वो सब कुछ है जो दुनियाँ के और देशों मॆ नहीं है. हमको चाहिये को उनको ढूंड कर सबके सामने लायें! तभी हम अपने देश को दुनिया के देशो मॆ सबसे आगे ला सकते है! हम लोगो को बता सकें कि हमारा भारत महान है. सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा!

धन्यवाद !!

!! जय हिन्द !!


**** देव ****

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