Thursday, April 18, 2013

दर्द दुखियारों का.!









मारने वालों के बारे मे तो सब पूछ रहे है,
परन्तु मरने वालों की किसी को खबर नहीं...!

राज नीति के गलियारों मे गूँज रही है आवाज बेबसीयत की,
लगे पडे है सब बटोरने में सुर्खियां अपने अपने हिस्सों की.!
परन्तु समझ नहीं पा रहे है दुख दर्द उन परिवारों का...
खोया जिन्होने टुकडे अपने जियारों का.!

क्या कसूर था उन बेकसूरों का, जो दफ्न हुए इन हाद्सों में.!
कौन जिम्मेदार है इस बजह की, क्यों हर बार ये दिन देखना पड़ता है,
जन प्रतिनिधि पल्ला झाड़ रहे है,अपनी जिम्मेदारियों से,
सब कुछ होते हुए भी, हर बार फिर क्यों वेबस  हम हो जाते है,

कुछ दिन जागते है इस सपने से फिर गहरी नींद से सो जाते है,
कैसे बदलेगी यह दयनीय स्थिति इस समाज की,
कब वह नया सबेरा आयेगा, जिस दिन चैन सकून से,
हर एक जन रह पायेगा...!!

निभा रहे है सब फर्ज अपनी दुनिया दारी का,
पर समझ न पाये कोई दर्द उन दुखयारों का...!!

© देव नेगी


!!!! हिन्द!!!!

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