Friday, December 28, 2012

जिम्मेदार कौन..??


पीडि़त लड़की अब नहीं रही इस हादसे ने उसे जिन्दगी से अलग कर दिया..!
अभी हमारे देश के प्रधान मंत्री ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए कडे कदम उठाये जाएंगे..
सवाल यह उठता है कि ये कदम हादसा होने से पहले क्यों नहीं उठाए गये..?? हर बार यही क्यों होता है कि हादसे के बाद ही कार्यवाही होती है? इनकी नींद हमेशा कुछ हो जाने के बाद ही क्यों खुलती है? जितना ध्यान देश को लूटने एवं भ्रष्टाचार करने में लगाते हैं. उससे अच्छा होता कि ये ध्यान देश के विकाश में लगाते, देश की सुरक्षा मे लगाते, महिलाओ की सुरक्षा मे लगाया होता, तो देश की यह स्थिति नहीं होती, सोचने वाली बात यह है कि इसका जिम्मेदार कौन है? कहीं हम खुद तो नहीं..?
हर एक सिक्के के दोपहलू होते है, एक पहलू हमारा समाज है और दूसरा पहलू हमारे राजनीति, महत्वपूर्ण सोचने वाली बात यह है कि हमारे समाज के लोग यानि कि हम अपने बोटों के माध्यम से अपना प्रतिनिधि चुनते है, जो राजनेता कहलाता है और फिर वह अपनी राजनीती प्रारम्भ करता है, कहने का मतबल है कि कहीं न कही हम ही इस प्रक्रिया के जिम्मेदार है, क्योंकि हम एक अच्छा प्रतिनिधि चुनने में असफल हो जाते है, जिस कारण अंत मे जाकर उस गलती की सजा खुद किसी न किसी रूप मे मिल जाती है, जैसे आज पूरे देश की हालत बनी हुई है यह इसी यह गलती का परिणाम है, हम दूसरों पर अक्सर उंगलियां उठाते है परन्तु हमे ध्यान रखना चाहिए कि दूररों को कोसने से पहले अपने को देख लिया जाय.. कहीं हम खुद ठीक नही हैं तो हमारे पास कोई अधिकार नहीं होता है दूसरों को गलत साबित करने का, सुरुवात खुद से करनी होगी, तब जा कर कहीं बदलाव की किरण नजर आयेगी, पर दु:ख इस बात है कि कोई बदलाव करना नहीं चाहता, घटना के दिनों के हो-हल्ला, रैली, जुलूस सब निकालते है पर समय निकलते ही सब भूल जाते हैं. क्योकि अपनी निजी जिन्दगी जके भार से दबे दूसरे भार को उठाने मे असमर्थ हो जाते है, और समय के साथ समझौता कर लेते हैं, हालात से लडने के बजाय हालात के साथ चलने मे समझदारी समझते हैं..! जबकि ये बिल्कुल गलत है, और इसका फायदा कोई और उठा कर चला जाता है, अपने द्वारा चयनित प्रतिनिधि ही खुद अपने अस्तित्व मे नहीं होता है, एक समय में एक पद पर पहुँचने के बाद वो देश, समाज एवं अपनी जिम्मेदारियां भूलते जाते है और भ्रष्ट हो जाता है, जिसका खामियाजा पूरे देश को भुगतना पड़ता है, अगर बदलना है तो पहले खुद को बदलना पडे़गा फिर समाज एवं देश बदलेगा !
ऎसे कई पहलू हैं जिन पर चर्चा करना जरूरी है परन्तु आज का विषय यही है कि जो इस देश मे एक छात्रा के साथ हुआ उसका जिम्मेदार कौन है? क्या आगे भी हमारे समाज मे हो रहे महिलाओं के साथ अत्याचार दुर्व्यवहार होता रहेगा?? क्या देश यों ही इन राज नेताओं की क्रिया-प्रतिक्रिया एवं बडे़ बडे़ झूठे आस्वासनों से चलेगा..?
सोचिए ..:)



!!!*धन्यवाद*!!!

****~!~* देव *~!~****


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Saturday, December 8, 2012

सोचा न था.!!



दास्तान-ए जिन्दगी:


आज एक बार फिर जिन्दगी ने उसी मोड़ पर खडा किया,
ऎसे कभी सोचा न था जाने किस खता का बदला लिया..!!
ये इम्तेहां है जिन्दगी की या, रूख वक्त ने बदल लिया,
सोचा न था कभी इसकदर भी तन्हा हो जायेगे हम,
 दोष दूँ किस्मत को या खता खुद से हुई है,
सोचा न था यों राहों मे चलते चलते रुक जायेगे हम,
गौरों से तो शिकवा ही क्या जब अपनों ने ही छोड दिया,
आज एक बार फिर जिन्दगी ने उसी मोड़ पर खडा किया,
ऎसे कभी सोचा न था जाने किस खता का बदला लिया.!!

इस रंग बिरंगी दुनियाँ के झरोखों में,
जाग उठी थी एक तमन्ना  जीने की,
पर सोचा न था यों  दुनियाँ को ही छोड़ जायेंगे हम,
कुछ पाने की आस में, कुछ करने की चाह में
सोचा न था इस तरह वक्त के आगोश में खो जायेंगे हम,
था अपना भी कोई सहारा जीने का,
पर शायद किस्मत बनाने वाले को यह मंजूर न था,
लोग  कहते है किस्मत का दस्तूर है ये,
हम कहते है शायद हमारा कसूर है ये,
आज एक बार फिर जिन्दगी ने उसी मोड़ पर खडा किया,
ऎसे कभी सोचा न था जाने किस खता का बदला लिया..!!

जहाँ छोड़ आये थे सारे गिलवे शिख्वे,
फिर क्यों उसी राह पर खडें है हम,
किससे करें दर्द-ए बयाँ जिन्दगी, किसे दें दोष हम,
कुछ दिल की दिल में ही रखने की तमन्ना हैं
इसी लिए आज कल खामोश है हम,
आज एक बार फिर जिन्दगी ने उसी मोड़ पर खडा किया,
ऎसे कभी सोचा न था जाने किस खता का बदला लिया..!!

© देव नेगी.



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Thursday, May 17, 2012

*जिन्दगी*




कभी कभी सोचता हूँ क्या है ये जिन्दगी,
कभी हकीकत तो कभी एक सपना  
कभी सच सी तो कभी  झूठ सी है ये जिन्दगी
कभी कभी.................
कभी रुलाये तो हँसाये ये जिन्दगी
कभी लगे तन्हा सी तो कभी लगे भरी भरी
कभी लगे अपनी तो कभी परायी सी ये जिन्दगी
कभी कभी...........
कभी दे गम तो कभी दे खुशी ये जिन्दगी
कभी दिखाये अनेक सपने तो कभी तोडे़
कभी समेटे खुशियां अपने आगंन मे तो
कभी पखं  पसारे  ये जिन्दगी
कभी कभी...........
कभी लगता एक पहेली सी है सुलजती नही
पर फ़िर भी एक सहेली सी है ये जिन्दगी
कभी लगता है मुस्कराती कभी अकेली सी
कभी धूप तो कभी छाऊँ सी ये जिन्दगी,,,
 अभी तक समझ नहीं पाया क्या है ये जिन्दगी
समझना है इसको कठिन फ़िर भी कोशिस करता हूँ.
क्या है ये जिन्दगी बस यही सोचता हूँ
कभी कभी सोचता हूँ क्या है ये जिन्दगी...!!


!!!*धन्यवाद*!!!

****~!~* देव *~!~****


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Wednesday, May 16, 2012

!!>>हम और हमारी भाषा<




अँग्रेजी भाषा के बारे में भ्रम *** गुलामी या आवश्यकता

आज के मैकाले मानसों द्वारा अँग्रेजी के पक्ष में तर्क और उसकी सच्चाई :

1. अंग्रेजी अंतर्राष्ट्रीय भाषा है:: विश्व में इस समय १० सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थायें (Top 10 Economies) अमेरिका, चीन, जापान, भारत, जर्मनी, रशिया, ब्राजील, ब्रिटेन, फ्रांस एवं इटली है| जिसमे मात्र २ देश ही अंग्रेजी भाषा का प्रयोग करते हैं अमेरिका और ब्रिटेन वोह भी एक सी नहीं, दोनों कि अंग्रेजी में भी अंतर है | अब आप ही बताएं कि किस आधार पर अंग्रेजी को वैश्विक भाषा (Global Language) माना जाए |दुनिया में इस समय 204 देश हैं और मात्र 12 देशों में अँग्रेजी बोली, पढ़ी और समझी जाती है। संयुक्त राष्ट्र संघ जो अमेरिका में है वहां की भाषा अंग्रेजी नहीं है, वहां का सारा काम फ्रेंच में होता है। इन अंग्रेजों की जो बाइबिल है वो भी अंग्रेजी में नहीं थी और ईशा मसीह अंग्रेजी नहीं बोलते थे। ईशा मसीह की भाषा और बाइबिल की भाषा अरमेक थी। अरमेक भाषा की लिपि जो थी वो हमारे बंगला भाषा से मिलती जुलती थी, समय के कालचक्र में वो भाषा विलुप्त हो गयी। पूरी दुनिया में जनसंख्या के हिसाब से सिर्फ 3% लोग अँग्रेजी बोलते हैं जिसमे भारत दूसरे नंबर पर है | इस हिसाब से तो अंतर्राष्ट्रीय भाषा चाइनीज हो सकती है क्यूंकि ये दुनिया में सबसे ज्यादा लोगों द्वारा बोली जाती है और दूसरे नंबर पर हिन्दी हो सकती है।

2. अँग्रेजी बहुत समृद्ध भाषा है:: किसी भी भाषा की समृद्धि इस बात से तय होती है की उसमें कितने शब्द हैं और अँग्रेजी में सिर्फ 12,000 मूल शब्द हैं बाकी अँग्रेजी के सारे शब्द चोरी के हैं या तो लैटिन के, या तो फ्रेंच के, या तो ग्रीक के, या तो दक्षिण पूर्व एशिया के कुछ देशों की भाषाओं के हैं। उदाहरण: अँग्रेजी में चाचा, मामा, फूफा, ताऊ सब UNCLE चाची, ताई, मामी, बुआ सब AUNTY क्यूंकी अँग्रेजी भाषा में शब्द ही नहीं है। जबकि गुजराती में अकेले 40,000 मूल शब्द हैं। मराठी में 48000+ मूल शब्द हैं जबकि हिन्दी में 70000+ मूल शब्द हैं। कैसे माना जाए अँग्रेजी बहुत समृद्ध भाषा है ?? अँग्रेजी सबसे लाचार/ पंगु/ रद्दी भाषा है क्योंकि इस भाषा के नियम कभी एक से नहीं होते। दुनिया में सबसे अच्छी भाषा वो मानी जाती है जिसके नियम हमेशा एक जैसे हों, जैसे: संस्कृत। अँग्रेजी में आज से 200 साल पहले This की स्पेलिंग Tis होती थी। अँग्रेजी में 250 साल पहले Nice मतलब बेवकूफ होता था और आज Nice मतलब अच्छा होता है। अँग्रेजी भाषा में Pronunciation कभी एक सा नहीं होता। Today को ऑस्ट्रेलिया में Todie बोला जाता है जबकि ब्रिटेन में Today. अमेरिका और ब्रिटेन में इसी बात का झगड़ा है क्योंकि अमेरीकन अँग्रेजी में Z का ज्यादा प्रयोग करते हैं और ब्रिटिश अँग्रेजी में S का, क्यूंकी कोई नियम ही नहीं है और इसीलिए दोनों ने अपनी अपनी अलग अलग अँग्रेजी मान ली।

3. अँग्रेजी नहीं होगी तो विज्ञान और तकनीक की पढ़ाई नहीं हो सकती:: दुनिया में 2 देश इसका उदाहरण हैं की बिना अँग्रेजी के भी विज्ञान और तकनीक की पढ़ाई होटी है- जापान और फ़्रांस । पूरे जापान में इंजीन्यरिंग, मेडिकल के जीतने भी कॉलेज और विश्वविद्यालय हैं सबमें पढ़ाई "JAPANESE" में होती है, इसी तरह फ़्रांस में बचपन से लेकर उच्चशिक्षा तक सब फ्रेंच में पढ़ाया जाता है।
हमसे छोटे छोटे, हमारे शहरों जितने देशों में हर साल नोबल विजेता पैदा होते हैं लेकिन इतने बड़े भारत में नहीं क्यूंकी हम विदेशी भाषा में काम करते हैं और विदेशी भाषा में कोई भी मौलिक काम नहीं किया जा सकता सिर्फ रटा जा सकता है। ये अँग्रेजी का ही परिणाम है की हमारे देश में नोबल पुरस्कार विजेता पैदा नहीं होते हैं क्यूंकी नोबल पुरस्कार के लिए मौलिक काम करना पड़ता है और कोई भी मौलिक काम कभी भी विदेशी भाषा में नहीं किया जा सकता है। नोबल पुरस्कार के लिए P.hd, B.Tech, M.Tech की जरूरत नहीं होती है। उदाहरण: न्यूटन कक्षा 9 में फ़ेल हो गया था, आइंस्टीन कक्षा 10 के आगे पढे ही नही और E=hv बताने वाला मैक्स प्लांक कभी स्कूल गया ही नहीं। ऐसी ही शेक्सपियर, तुलसीदास, महर्षि वेदव्यास आदि के पास कोई डिग्री नहीं थी, इनहोने सिर्फ अपनी मात्रभाषा में काम किया।
जब हम हमारे बच्चों को अँग्रेजी माध्यम से हटकर अपनी मात्रभाषा में पढ़ाना शुरू करेंगे तो इस अंग्रेज़ियत से हमारा रिश्ता टूटेगा। अंग्रेजी पढ़ायें इसमें कोई बुरे नहीं लेकिन हिंदी या मात्रभाषा की कीमत पर नहीं| किसी भी संस्कृति का पुट उसके साहित्य में होता है और साहित्य बिना भाषा के नहीं पढ़ा जा सकता| सोचिये यदि आज के बालकों को हिंदी का ज्ञान ही नहीं होगा तो वे कैसे रामायण, महाभारत और गीता पढ़ सकेंगे जिसका ज्ञान प्राप्त करने के लिए हजारों अंग्रेज ऋषिकेश, वाराणसी, वृन्दावन में पड़े रहते हैं और बड़ी लगन से हिंदी एवं संस्कृत का ज्ञान प्राप्त करतें हैं |

क्या आप जानते हैं जापान ने इतनी जल्दी इतनी तरक्की कैसे कर ली ? क्यूंकी जापान के लोगों में अपनी मात्रभाषा से जितना प्यार है उतना ही अपने देश से प्यार है। जापान के बच्चों में बचपन से कूट- कूट कर राष्ट्रीयता की भावना भरी जाती है।

* जो लोग अपनी मात्रभाषा से प्यार नहीं करते वो अपने देश से प्यार नहीं करते सिर्फ झूठा दिखावा करते हैं। *

दुनिया भर के वैज्ञानिकों का मानना है की दुनिया में कम्प्युटर के लिए सबसे अच्छी भाषा 'संस्कृत' है। सबसे ज्यादा संस्कृत पर शोध इस समय जर्मनी और अमेरिका चल रही है। नासा ने 'मिशन संस्कृत' शुरू किया है और अमेरिका में बच्चों के पाठ्यक्रम में संस्कृत को शामिल किया गया है। सोचिए अगर अँग्रेजी अच्छी भाषा होती तो ये अँग्रेजी को क्यूँ छोड़ते और हम अंग्रेज़ियत की गुलामी में घुसे हुए है। कोई भी बड़े से बड़ा तीस मार खाँ अँग्रेजी बोलते समय सबसे पहले उसको अपनी मात्रभाषा में सोचता है और फिर उसको दिमाग में Translate करता है फिर दोगुनी मेहनत करके अँग्रेजी बोलता है। हर व्यक्ति अपने जीवन के अत्यंत निजी क्षणों में मात्रभाषा ही बोलता है। जैसे: जब कोई बहुत गुस्सा होता है तो गाली हमेशा मात्रभाषा में ही देता हैं।
किसी भी व्यक्ति कि अपनी पहचान ३ बातो से होती है, उसकी भाषा, उसका भोजन और उसका भेष (पहनावा). अगर ये तीन बात नहीं हों अपनी संस्कृति की तो सोचिये अपना परिचय भी कैसे देंगे किसी को ?
॥ मात्रभाषा पर गर्व करो.....अँग्रेजी की गुलामी छोड़ो ॥

!!! भारत माता की जय !!!

सोचिये..!!

!!!*धन्यवाद*!!!

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हमारे देश की स्थिति और घोटाले.




किसी जमाने में सोने की चिढिया कही जाने वाला हमारा देश भारत की अब स्थिति दयनीय होती जा रही है, और इससे दोषी कौन है??  किसी न किसी रूप मे खुद हम इसके जिम्मेदार है,
देखो आज कैसी स्थिति आ गयी है, कही करोंडों रूपये के घोटाले हो रहे है तो कहीं लूटपाट, कहीं काला धन विदेशो मे जमा हो रहा है, गरीबों का शोषण हो रहा है, गरीब और गरीब होते जा रहे है अमीर और अमीर होते जा रहा है, महंगाई लगातार बढती जा रही है एक आम इन्सान जा जीना मुश्किल होते जा रहा है, किसी को तो दो वक़्त की रोटी भी नसीब नही हो पा रही है, इस देश मे चाहे कुछ भी हो मारा हमेशा गरीब ही जाता है करता कोई और है भरता कोई और है, एक आम आदमी दिन रात मेहनत करके अपने खून पसीने की कमाई का कुछ हिस्सा सरकार को कर के रूप मे दान देता है राकि उस रकम से देश का विकास हो, पर ऊंचे स्तर पर बैठे ऎसा होना नही देते हैं क्योंकि उनको अपने पेट भरने से मतलब है, आम जनता की किसको पडी़..? सोचने की बात ये है कि इनके पास ये सब पैसा आता कहाँ से..? इसमे सोचने की क्या जरूरत.? ये सब हम सबका पैसा है जो हम सरकार को अपने हिस्से की रकम देते है वो देश के विकास मे नहीं बल्कि इन लोगों के परिवार के विकास हो रहा है विदेशो मे वो धन कई वर्षो से जमा है, 
पर एक बात समझ मे नहीं आयी कई प्रयासों के बावजूद भी आज तक वो धन भारत मे नहीं आया क्यो..? बाबा राम देव के द्वारा चलाये गये इस मुहिम के बाद खुद बाबा राम देव पर अंधेरे मे धोखे से हमले हुये.. आखिर क्यो..? ऎसे ही कितने क्यों के जवाब अभी बाकी है और सवाल हर उस हिन्दुस्तानी के अन्दर है जो सच्चा हिन्दुस्तानी है, पर कौन देगा इन सब क्यों का जवाब.? क्या सिर्फ हम एक सवाल तक ही सीमित रह जायेंगे? आखिर कब तक ?  कौन देगा इन सब क्यों का जवाब..? कोई नहीं क्योकि कोइ जवाब देने वाला ही नही है. बडे़ स्तर पर बैठे लोगों का देश को लूटने मे ही सार समय चला जाता है और छोटे स्तर के लोग अपनी रोजमर्रा की जिन्दगी से बाहर ही नहीं निकल पाते है. दो वक़्त की रोटी के लिये एक मजदूर जितनी मेहनत करता है अगर हमारे देश के नेता उसका 1% भी काम करे तो हमारा देश दुनियां के विकसित देशो मे होता, और इस देश मे ना ही गरीबी होती और ना ही भूखमरी और ना ही इस देश की अज ये दुर्दशा होती!
ये हमारा दुर्भाग्य ही है कि आज हमारे देश की हालत ये है.. और कहीं ना कही इससे जिम्मेदार हम खुद हैं. हम ही सही इंसान को पहिचानने मे गलती करते है और ऎसे देश के ळुटेरो, चोरों को गद्दी सौंप देते है, और हम सो जाते है और वो लोग अपनी मन मर्जी करते है फिर हम अपने को वैसे ही डाल देते है फिर उसी के अनुसार जीने लग जाते है, और वो अपना काम करते रहते है, फिर कभी कोई जाग उठता है और तब तक बहुत देर हो जाती है, ये भी सच है कि आज कल किसी के पास समय नहीं है मजबूरी भी है, अगर अपना काम छोड़ कर अगर इन सब लोगों के खिलाफ आवाज उठाते है तो खायेंगे क्या.? परिवार भूखा ही मर जायेगा. इसलिये जो चल रहा है चलने दो और उसी के हिसाब से हमने जीना सीख लिया है.!
हमारे कानून की तो बात ही क्या है आज का कानून सिर्फ पैसे वाले दलालों के लिए है सच्चाई एवं ईमानदारों के लिये नहीं. लगता है कि कानून भी पैसे एवं ताकत का गुलाम बन गया है, कहते है ना पैसे है तो सब है और यहाँ सब बिकता है आज कल ये सब सत्य होते जा रहा है. पैसा ही सब कुछ बन गया है ईमान धर्म कुछ नहीं बचा है इन्सान अपनी इन्सानीयत भूल चुके हैं। पैसे है तो सच कुछ है नहीं तो कुछ भी नहीं. ये सत्य भी है पर सिर्फ कुछ हद तक, परन्तु अब तो इसका मतलब ही बदल गया है., 
हमारा कानून सिर्फ नेताओं और बडें स्तर पर बैठे अधिकारियों के हाथो की कठपुतली बन कर रह गयी है, बडे बडे भ्रष्ट नेता सिर्फ दिखावे के लिये जेल जाते है फिर उनकी जमानत आराम से हो जाती है,  टेलीकोम घोटाले के महान दिग्गज नेताओं को आसानी से जमानत मिल गयी है, कितने बडी़ शर्म की बात है पूरे देश में.. अगर एक गरीब  500 (पाँच सौ रूपये) की चोरी करता है तो उसे कडी़ सजा मिलती है पर हजारों करोडों रूपये की चोरी करके ये लूटेरे आराम से आजाद हो रहे है..! ये है हमारा महान कनून, कई निर्दोष  जिन्दगी भर न्याय पाने के लिये न्ययालय के चक्कर काटते काटते थक  जाते है और देश के लूटेरे सबको खरीद कर बाहर निकल जाते हैं । अब तो लोगों का न्याय से विश्वाश ही उठता दिख रहा है, उपर से नीचे तक सब के सब बिके हुये है, सारे नेता किसी न किसी विवाद मे घिरे हुये है. कोई अश्लीलता (स्केम्) मे पकडा़ तो कोई संसद मे गंदी पोर्न फिल्म देखते हुये पकडा़ जा रहा है तो कई करोडों के घोटाले में,। यहाँ तक कि लोगों कि न्याय देने वाले न्यायाधीश भी एसे कामों मे पकडे़ जा रहे है ये बडी शर्म की बात है, ये सोचने वाली बात है कि आज हम और हमारा देश किस तरफ जा रहे हैं !  एक तरफ तो कहा जाता है कि कानून सबके लिये समान है एक है और दूसरी तरफ भ्रष्ट और चोर आसानी से छूट जाता है पर एक गरीब ईमानदार को न्याय नहीं मिल पाता, फिर ये कहावत सत्य होती है कि कानून अन्धा है. वो सच्चाई को देख नहीं सकता ! 
एक तरफ हमारे यहाँ आतंकवादी की सेवा की जा रही है वहीं दूसरी तरफ हमारी रक्षा करने वाली देश के लिये अपनी जान न्योछावर करने वाली सेना के साथ समजौता किया जा रहा है, वहाँ भी घोटाला हो रहा है ! देश के प्रमुख दुश्मन कसाव को विरयानी खिलायी जा रही है और इदर लाखो लोग बिना खाने के भूखे मर रहे है ! पर इतना सोचे कौन.? 
अगर कोई इन सब के खिलाफ आवाज उठाता है तो उसे भी दबाने की पूरी कोशिश की जाती है, यहाँ तक कि ये अपने बारे मे सच्चाई सुन नहीं पाते अगर कोई इनके बारे मे सच्चाई बोले तो देश का काम छोड कर सांसद मे सिर उसी मुद्दे पर चरचा होता है. और सांसद कभी तो अखाडा बन जाता है ! ये है हमारे देश के नेता..!! ऎसा देश है मेरा..!! 
अब ये हम पर निर्भर करता है कि हम कैसी जिन्दगी जीने का फैसला करते हैं... !!!




सोचिये..!!


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Friday, November 4, 2011

"आज का भारत"


हमारा देश !.भारत.! जिसे कभी सोने कि चिढिंया भी कहा करते थे.! क्योकि यहाँ हर चीज सोने के समान थी यह देश एक पारम्परिक एवं सांस्कृतिक विरासत से परिपूर्ण है. यह एक महान देश है.. यहाँ के अलग अलग राज्यों मे अलग अलग भेष भूषा के लोग निवास करते है,, सबका अपना अलग अलग धर्म है.. यहाँ अनेक धर्म के लोग रहते है. और अनेकों रगं बिखेरते नजर आते है। अनेको त्यौहार मनाये जाते है हर्षोउल्लास के साथ सब मिलकर जुल कर खुशी की साथ. यहाँ के अनेक रंग एक रंगोली के रूप मे सामने आती है...! यह देश एक महान देश है.. !!
____

पर अब इस महान देश को ऐसा लगता है कि किसी की नजर जैसे लग गयी है.. अब इस देश की हालत को देख कर दख: और गुस्सा दोनो सामने आते है.. हम कहाँ से कहाँ आ चुके है. आज हमारे देश की दयनीय स्थिति हो गयी है. कोई भी अपने मात्रि भूमि के साथ माँ जैसा ब्यवहार नहीं करता. सबकी नियत बिगड़ चुकी है इसका मतलब यह हुआ कि हम अपने माँ के साथ धोखा कर रहे है. माँ सबसे बढी़ होती है माँ को भगवान का दूसरा रूप माना जाता है. और अगर हम अपने भगवान के साथ ही बुरा बर्ताव करें तो जीने का मकसद ही खतम हो जाता है, पर फिर भी हम जी रहे हैं क्यो..??? ऐसे ही कितने क्यों का जवाब हमको खुद ही नहीं पता.!

आज हमारे देश की हालत ऐसी हो गयी है.. इसके जिम्मेदार् कौन? कई हद तक इसके जिम्मेदार खुद हम है. हम खुद ऐसे लोगो को चुन कर भेजते है जो उपर जा कर देश को इस रूप मे लाने का भरपूर प्रयास करते है. सब के सब चोर बन जाते है. क्योकि ये हमारी कमजोरी है जिसका ये लोग भरपूर फायदा उठाते आये है. फिर भी हमको कोई फ़र्क पड़ता.. क्योकि अब हमको इसकी आदत हो गयी है.. हम अपने निजि जीवन के उथल पुथल से बाहर ही नहीं निकल पाते है. तो देश की कैसे सोच सकते है.?? हम सबको अपनी अलग अलग परेशानियां है..और उसी मे उलज कर रह जाते है, वही हमारी जीवन जीने की शैली बन जाती है. पर ऐस क्यो? कोई नहीं सोचता क्योकिं ये सोचने के लिये किसी के पास वक़्त ही नहीं है. क्योकि हम सिर्फ अपने बारे मे सोचते है देश के बारे मे कौन सोचे.? लोग सोचते है पहले मेरा भला हो जाये बाद मे देश का भला हो जायेगा..परन्तु ये गलत है क्योकिं जब तक देश क भला नही होगा तब तक देशवासियों का भला नहीं हो सकता इस बात को हमें ध्यान में रखना होगा. अन्ना के द्वारा चलाये गये आन्दोलन 'जनलोकपात'एक बडीं क्रान्ति के रूप मे सामने आयी लोगो को भी जग्रित किया.. फिर भी वो अभी तक पारित नहीं हो पाया क्यों..? क्योकि उससे आम जनता का भला हो सकता है..? और भ्रष्टाचार कम हो सकता पर वो भी नहीं होना देना चाहती है ये सरकार...!
अब बात करते है पहले हमारी सरकारों एवं नेताओ की..! इन नेतओ ने देश को लूट लिया है..और वे ही आज देश के शीर्षासन पर पदसीन है वो हमारे द्वारा ही बिठाये गये है. कभी कभी वो ये भूल जाते हैं हमको चाहिये कि उनको ये याद दिलाते रहना..कि वो जनता के नौकर है मालिक नहीं. और जो नौकर होता है उसको मालिक की हर बात माननी पड़ती है.. पर दु:ख की बात यह है कि नौकर ही मालिक बन चुका है. ऐसे में हमें चाहिये कि अपनी जगह हासिल करें. इसी प्रयास मे दो महानायक खडे़ हुये ( बाबा राम देव एवं अन्ना और अण्णा) इन्होने देश के लिये कुछ करने की सोची है. इस लिये देश के लिये अपने को समर्पण कर दिया है. और देश मे हो रहे भ्रष्टाचार एवं भ्रष्टाचारियों के खिलाप मुहिम छेडी़ है.. पर भ्रष्टाचारियों की तरफ से पूरी कोशिश की जा रही है इनको कुचलने एवं दबाने की ताकि इनकी पोल न खुले. हर बार नया बहाना आरोप एवं शक्ति का प्रयोग करके इस आन्दोलन को खतम करने की नाकाम कोशिस की जा रही है. इस आन्दोलन से कुछ तो लोगो मे जगरूगता लोगो मे आयी यह बहुत बडी बात है. आज देश की सबसे बडीं समस्या भ्रष्टाचार और् विदेशो मे छुपा हुआ काला धन है. अगर इन दो समस्याओ से मुक्ति मिल जाये तो और समस्याओ की तरफ भी ध्यान जा सकता है ऐसे तो बहुत सारी समस्याये है हमारे देश मे पर ये दो समस्या सबसे बडीं है. इन दो सम्स्याओं का करण हैं ये भ्रष्ट नेता और उनके जैसे कई लोग. पकडे़ जाने के बाद भी उन पर कोई कारवाई नहीं होती क्यो..? उनकी जमानत हो जाती है और ओपरेशन के लिये विदेश जाने की इजाजत मिल जाती है.. सवाल यह है कि इन लोगो का इलाज हिन्दुस्तान मे क्यो नहीं हो सकता? क्या हमारे देश में इतने अच्छे अस्पताल और डोक्टर् नही है जो इनका इलाज कर सके भरत देश एक लोकतान्त्रिक देश है तो ये भेदभाव क्यो? दूसरी बात इनकी पास इतना रुपया कहाँ से आता है..? इसका हिसाब क्यों नही होता ? जनता के पैसो का क्यों इस तरह दुर्पयोग किया जा रहा है? इससे क्या माना जाये? कि हमारी कानून ब्यवस्था चरमरा गयी है ? और बैशखी पर आ गयी है जो इन लोगो पर कडी़ कारवाई नहीं होती..? क्यो ? क्योकि सब इनके अनुसार चल रहा है? जो ये चाये वो कर ले क्योंकि इनको रोकने वाला कोइ नहीं है.. पर क्यो..? ये सोचना जरुरी है...! ये दशा हो गयी है हमारे देश की ऐसे कुछ बेईमानो के कारण हमारे देश की हालत बिगड़ गयी है. हमे जरुरत है कि ऐसे लोगो को नाकाम कर के सबके सामने फांसीं से भी बडी़ सजा दी जाये ताकि ये एक सबक बन जाये. !
अब बात है देश के सुरक्षा की भारत एक ऐसा देश है जहाँ पर हर साल आतंकवादी हमले होते हैं. आतंक वादी आते है और आसानी से अपना काम कर के चले जाते है और हम देखते रहते है. और इन हमलों मे सिर्फ आम बेकसूर जनता ही मारी जाती है जिनका कोई कसूर नहीं होता और जिनका कसूर होता है वो आरम से अपने महलो मे बैठ कर देखते रहते है.
26/11 मुम्बई के हमले का दोषी कसाब पकडे जाने के बाद हिन्दुस्तान के कारागार (जेल) मे आराम से बिरयानी खा रहा है. क्यो? उसको अभी तक फांसी नही हुई? और जो देश के लिये जो कुछ करना चाहते है (अन्ना और बाबा राम देव) उनको कुचलने की कोशिस की जा रही है क्यो..? काश कोई इन 'क्यों' का जबाब दे दें..!! क्या इसी "भारत" का सपना देखा था हमारे महापुरुषों ने? ये है आज का भारत.. !!
,,,,,,,,,,,,,,,,सवाल,,,,,,,,,,

जनता के साथ ये बारूद बम भी पक्षपात करता है !

धमाकों में किसी मंत्री का बेटा क्यों नहीं मरता है !!?!

हर बार यह बे-गुनाह जनता ही चीखती है रोती है !

...हादसे में मंत्री की पत्नी विधवा क्यो नहीं होती है !!

बस्ती के झोपड़ों मे आग का लावा निकलता है !

उसमें किसी मंत्री का बंगला क्यों नहीं जलता है !!

जब सड़कों पर दंगों का तांडव खुलेआम होता है !

फ़िर क्यों न किसी मंत्री का काम- तमाम होता है !!

सिर्फ़ आम बेवश लाचार अबला ही यहां घुटती है !

किसी मंत्री की बेटी की इज्जत क्यों नहीं लुटती है !
काश,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

ये घटनायें विपरीत दिशा मे घटनें लग जायें

तो यकीनन देश के दलाल सिमटने लग जायेंगे
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"देव्" 'नई सोच '


सोचिये..!!

!!!*धन्यवाद*!!!

****~!~* देव *~!~****


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©  देव नेगी 

Tuesday, July 6, 2010

सप्तकुंड

सप्तकुंड को सैलानियों का इंतजार


चमोली के सिम्बे बुग्याल में स्थित 'सप्तकुंड' किसी अचरज से कम नहीं। यहां स्थित सात कुण्डों में से छह ठंडे और एक गर्म पानी का कुण्ड है। करीब पंद्रह हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित सप्तकुंड पहुंचने के लिए एशिया के सबसे कठिन पैदल ट्रैक को पार करना पड़ता है। तमाम विशेषताएं होने के बावजूद इस खूबसूरत जगह को पर्यटन के लिहाज से विकसित नहीं किया गया है।

सप्तकुंड पहुंचने के लिए जितना दुर्गम रास्ता तय करना पड़ता है, वहां पहुंचकर अनुपम प्राकृतिक सौन्दर्य पर्यटकों को उतनी ही आनन्द की अनुभूति कराता है। सप्तकुंड पहुंचने के लिए चमोली जिले के दशोली ब्लाक के निजमुला नामक स्थान से पैदल सफर शुरू होता है। 28 किलोमीटर पैदल चलने के बाद सुरम्य घाटियों के बीच स्थित ईराणी गांव पहुंचा जाता है। फिर शुरू होता है दुर्गम पहाडि़यों का सफर। ईराणी से सिम्बे बुग्याल होते हुए लगभग 10 किलोमीटर का पैदल सफर सैलानियों को सप्तकुंड पहुंचा देता है। खास बात यह है कि सिम्बे बुग्याल की खूबसूरती राहगीर को थकान महसूस नहीं होने देती। यहां खिले विभिन्न प्रजातियों के हजारों फूल 'वैली आफ फ्लावर्स' के वजूद को भी चुनौती देते प्रतीत होते हैं। इतना ही नहीं इस बुग्याल में हरी घास चर रहे दुर्लभ प्रजाति के जंगली जानवर पर्यटकों को बरबस अपनी ओर आकर्षित करते हैं। सिम्बे बुग्याल पार करते ही ऊंची चोटी पर आसपास स्थित पानी के सात कुण्ड (बड़े तालाब) दिखाई देने लगते हैं, जिन्हें सप्तकुंड के नाम से जाना जाता है। ये सभी कुंड आधा किलोमीटर के दायरे में स्थित हैं। इनमें से छह कुण्डों का पानी इतना ठंडा है कि उसमें एक डुबकी लगाना भी मुश्किल हो जाता है, जबकि एक कुंड का पानी इतना गरम है कि उसमें नहाने से पर्यटकों की थकान दूर हो जाती है। सप्तकुंड का महत्व पर्यटन के लिहाज से ही नहीं बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी है। हर वर्ष नन्दा अष्टमी को ईराणी के ग्रामीण वहां पहुंचकर नन्दा देवी की आराधना करते हैं। दुर्भाग्य की बात है कि इतना विस्मयकारी और सौन्दर्य से भरपूर पर्यटक स्थल होने के बावजूद सप्तकुंड को पर्यटन मानचित्र में स्थान नहीं मिल पाया है। यह स्थान अभी भी गुमनामी के अंधेरे में खोया हुआ है। ट्रैकिंग के शौकीन नाममात्र के देशी-विदेशी पर्यटक हर वर्ष यहां पहुंचकर प्राकृतिक नजारों का लुत्फ उठाते हैं। ईराणी के उपप्रधान भरत सिंह नेगी का कहना है कि सप्तकुंड जैसे स्थलों को पर्यटन सर्किट से जोड़ा जाना चाहिए, ताकि क्षेत्र का विकास होने के साथ-साथ स्थानीय युवाओं को रोजगार भी मिल सके।

Wednesday, August 5, 2009

आज का समाज एवं नारी


आज का समाज एवं नारी

हमारा देश अनेक प्रकार की संस्कॄति एवं परमराओं से भरा हुआ है. जहाँ एक तरफ़ यहाँ अनेक प्रकार की भेष-भूषा के लोग है वहीं दूसरी तरफ़ यहाँ अनेक र्धम के लोग निवास करते है. पर ऐसे लगते है एक डाल के अनेक फ़ूल..! यही विशेषता है हमारे देश की अनेकता में एकता, इसी लिये मेरा भारत महान है!

हमारे देश में नारियों का सम्मान किया जाता है , पर आज की स्थिति को देख कर डर लगता है. कुछ असामाजिक तत्वों एवं समाज के ठेकेदारों के कारण नारी जाती का आज समाज में जीना मुशकिल हो गया है. जहाँ एक तरफ़ एक नारी माँ का रूप हो्ती है वहीं दूसरी तरफ़ किसी कि बेटी, किसी की बहन, और कहीं माँ दुर्गे की पूजा की जाती है, इतिहास गवाह है कि हमारे देश के लिये नरी शक्ति ने बहुत कुछ किया है, रानी लक्ष्मी भाई, मदर टेरेसा, इन्दरा गाँधी, सरोजनी नायडू आदि अनेक महिलाओं ने हमारे देश के योगदान मे अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
दुनिया बदल गयी है पर अफसोस की बात तो यह है कि आज भी ऐसे लोग है जिनके मन मे लड़कियों के प्रति कुण्ठित विचार है कई लोग लड़कियों को बोझ समझते है उस नन्हीं जान को धरती पर आने से पहले मार दिया जाता गर्भपात कर दिया जाता है, स्कूल नहीं भेजते है ये समझते है कि लड़कियां तो पराया धन होती है और उसका काम घर सम्भालना होता है. अगर उनको स्कूल नहीं भेजेंगे तो वो आगे कैसे बढेंगे? आखिर क्यों होता है सब?? सोचा है? हर कहीं महिलाओं के साथ अन्याय होता है, कभी किसी को जिन्दा जलाया जाता है कभी किसी को नाबालिक उम्र में विवाह कर दिया जाता है जिसे बाल विवाह कहा जाता है, कहीं दहेज के चक्कर मे अत्याचार होता आ रहा है, कहीं बलात्कार कहीं किसी महिला के भारी चौराहे पर सभी के सामने कपड़े फाड़े जाते है. आज एक महिला कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं. इन्सान इन्सानियत भूल गया है, कहीं भी जाओ कही भी सुरक्षा महसूस नहीं होती, किसी ओफिस मे काम करती है तो वहाँ के लोग यहाँ तक कि खुद मालिक भी फ़ायदा उठाना चाहता है, कई बार ऐसे सुनने को मिला है, बाहर अकेली लड़की नहीं जा सकती है अगर कोइ अकेली लड़की कहीं जाते हुये किसी ने देख लिया तो उसको छेड़ना सुरु कर देगें या गन्दी गन्दी बातें सुनायेगे, यही नहीं बल्कि कई जगहों पर तो लोग अकेलेपन क फायदा भी उठाते है।
आज के जमाने मै अगर कोई लड़की कुछ करना भी चाहे तो उसके बारे में हमारे समाज के कुछ ठेकेदार कुछ न कुछ गन्दी बातें बोलेगें जिससे कि वो लड़की आगे ना बढ़ पाये. उसका आत्मविश्वाश टूट जाये। क्यों हमारा समाज एक तरफ़ तो नरी शक्ति की पूजा करता है और दूसरी तरफ़ उनको आगे बढ़ने से रोकता है क्यों? कब तक ये चलता रहेगा? कब बदलेगी हमारी सोच?? लोग ये सोचते क्यों नहीं? क्यों भारत जैसे देश मे जिसे नारी प्रधान देश कहा जाता है उसी देश मे नारी के साथ ये सब हो रहा है उनकी इज्जत नहीं की जाती है ये कितनी शर्म की बात है हमारे लिये, ये सोचने वाली बात है सोचिये..!! अपनी सोच बदलो लड़का लड़की मे कोइ फ़र्क नहीं है दोनो एक समान है बल्कि आज के जमाने मे लड़की कई जगहों पर लड़को को मात दे रही है हमेम चाहिये कि हम उनको प्रोत्साहन दें और उनका साथ दें सबको समान दॄष्टि से देखें तभी वो आगे बढे़गी और एक दिन ऐस आयेगा कि सारे जहाँ मे नारी को एक इज्जत के साथ पुकार जयेगा उनका भी अपना एक अस्तित्व और लोगों को अपने बहु, बेटियों पर गर्भ होगा.!!!
कब बदलेगी हमारी सोच?? कब बनेंगे हम इन्सानं? अब वक्त आ गया है कि होसला रखो हिम्मत दिखाओ और दुनिया बदलो!!


!!!*धन्यवाद*!!!

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 © Dev Negi (देव नेगी)

Monday, July 27, 2009

अगर मैं एक सपना होता.और ये सपना होता सच ....!


अगर मैं एक सपना होता.और ये सपना होता सच ..!!












अगर मैं एक सपना होता..सच....!!!
खुली वदियों के आशिया मे घूमता,
कभी होता यहाँ कभी होता वहाँ
एक पंक्षी सा आजाद होता
अगर मैं एक सपना होता..सच....!!!



कभी होता पेड़ो की शीतल छांव में.
तो कभी होता पहाड़ो कि ऊँची चोटी पर
खुशियों के होते पर! उड़ता आसमान मे
बनकर पंक्षी प्रकृति के आंगन में
अगर मैं एक सपना होता..सच....!!!

आज रहता यहाँ कल वहाँ
करता मनमानी चाहे जाऊं जहाँ,
खुली हवाओं के साथ चलता चाहे ले जाये जहाँ.
अगर मैं एक सपना होता..सच....!!!

करता लोगो की सारी परेशानियों को छू मन्तर
रहता ना दुख: सुख मे अन्तर
कभी रहता लोगो के दुख: में सामिल
करता लोगो को खुश हर पल.
अगर मैं एक सपना होता..सच....!!!

होते न दूर कभी भी अपने करीबी
रहते सब लोग प्यार से मिल कर
होता ना किसि को किसि से बैर
न होती कोई भूख मरी न कोइ गरीबी .
अगर मैं एक सपना होता..सच....!!!

होती न कभी इस दुनियां में जगं
होते सब अपने लोगो के साथ
ना होती नफरत की आग.
रहते सब लोग बेफिकर होकर सगं
अगर मैं एक सपना होता..सच....!!!

(स्वरचित कबिता)



!!!*धन्यवाद*!!!

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